Maharashtra : सुप्रीम कोर्ट का फैसला बीजेपी के पक्ष में आने के बाद से ही पार्टी के नेता लगातार महाराष्ट्र की सरकार पर हमलावर होती नजर आ रही है. अब इस बीजेपी नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि इस फैसले के लिए राज्य सरकार को माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने एक बयान में कहा, ''बीजेपी के विधायकों की निलंबन का फैसला किसी एक का नहीं बल्कि ये फैसला सरकार में बैठे शीर्ष नेताओं की रजामंदी से हुआ है.''
उन्होंने कहा, ''बीजेपी के 12 विधायकों को निलंबित करने का फैसला तीन दल कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन की सरकार ने लिया. सरकार ने राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया और उसे वॉइस वोट (Voice Vote) से जबरन पारित कराया. विपक्ष को इस मामले पर बोलने तक नहीं दिया गया.'' उन्होंने कहा, ''एमवीए सरकार को सत्ता का दुरुपयोग करने और एक असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक कार्य में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के लोगों से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए.''
नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ''हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला का स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बता कर सरकार के मुंह पर एक तमाचा मारा है. माननीय कोर्ट ने सरकार के12 विधायकों को निलंबित करने के फैसले को अवैध और तर्कहीन बताया. सरकार को इससे शर्म आनी चाहिए.'' उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से सवैंधानिक अधिकारों की रक्षा की है.
देवेंद्र फडणवीस ने सुप्रीम के फैसले पर प्रतिक्रिया करते हुए ट्वीट किया, 'सत्यमेव जयते. मॉनसून सत्र के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा में ओबीसी के लिए लड़ने वाले हमारे 12 विधायकों के निलंबन को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का हम स्वागत करते हैं और अदालत का आभार व्यक्त करते हैं.'
निलंबित किए गए 12 विधायकों में संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भातखलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भांगड़िया शामिल हैं.
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