Corona Guidelines: महाराष्ट्र के लोगों को जल्द मिलेगी राहत, कोरोना को लेकर लगी पाबंदियां हटाने पर विचार कर रही सरकार
महाराष्ट्र में अब कोरोना महामारी की तीसरी लहर बेअसर होती दिख रही है. इसी के चलते जल्द ही राज्य सरकार कोरोना को लेकर लगाई पाबंदियों में ढील दे सकती है.
Corona Guidelines: महाराष्ट्र में अब कोरोना महामारी की तीसरी लहर बेअसर होती दिख रही है. इसी के चलते जल्द ही राज्य सरकार कोरोना को लेकर लगाई पाबंदियों में ढील दे सकती है. हालांकि, घरों के बाहर मास्क पहनना अभी भी अनिवार्य ही रहेगा, जब तक कि डब्ल्यूएचओ कोविड को 'स्थानिक' बीमारी होने की घोषणा नहीं करता. पिछले हफ्ते, केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखकर अतिरिक्त प्रतिबंधों की समीक्षा करने के निर्देश दिए थे. केंद्र सरकार का मानना है कि अब भारत में पॉजिटिविटी रेट काफी कम हो गया है जिसके चलते प्रतिबंधों में ढील दी जानी चाहिए. इसी के बाद स्वास्थ्य विभाग एक हाई लेवल मीटिंग की.
इसे लेकर राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ प्रदीप व्यास ने कहा, ''हमने पहले ही मुंबई और पुणे के बाहर के जिलों में अधिकांश प्रतिबंधों में ढील दे दी है. अभी भी कुछ प्रतिबंध हैं जैसे मूवी थिएटर और स्विमिंग पूल में 50% की सीमा. हम प्रतिबंधों को कम करने के लिए चर्चा कर रहे हैं, लेकिन अंतिम निर्णय लिया जाना अभी बाकी है.''
इसे लेकर टास्क फोर्स के अधिकारी ने बताया कि पिछले हफ्ते की बैठक में, कोविड -19 टास्क फोर्स के कुछ सदस्यों ने मार्च तक चरणों में धीरे-धीरे ढील देने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा, ''यह संभावना नहीं है कि एक अधिक घातक संस्करण सामने आएगा लेकिन हमें सतर्क रहना होगा. इसलिए, हम इस सप्ताह कुछ छूट की घोषणा करेंगे, लेकिन चरणों में पूरी तरह से आराम किया जाएगा.''
मास्क पहनना होगा आवश्क
फिलहाल लोगों को मास्क पहनने से तो छूट नहीं दी जाएगी और राज्य में सार्वजनिक स्थान पर मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा. इसे लेकर डॉ. व्यास ने कहा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा आधिकारिक तौर पर महामारी के अंत की घोषणा करने के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा. मास्क पहनने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “मास्क पहनने से कोई नुकसान नहीं होता है. वास्तव में, यह मेरा व्यक्तिगत सुझाव है कि जनता को वायु प्रदूषण और अन्य वायु जनित बीमारियों से बचाने वाले मास्क पहनना जारी रखना चाहिए.''
यहां आपको बता दें कि 12 से 18 फरवरी के बीच महाराष्ट्र में साप्ताहिक सकारात्मकता दर 4% थी. जबकि प्रमुख शहरों में मामले कम हो गए हैं, ग्रामीण जिलों में अभी भी स्पाइक देखा जा रहा है.
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