CCTV in Maharashtra Police Stations: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने महाराष्ट्र के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे (CCTV Camera) लगाये जाने को लेकर राज्य सरकार की स्थिति रिपोर्ट पर मंगलवार को नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया ‘तमाशा’ है और इस परियोजना के लिए आवंटित राशि बर्बाद हो गयी है.
जस्टिस एस. जे. कठवल्ला और जस्टिस एम. एन. जाधव की खंडपीठ ने पिछले हफ्ते सरकार से सभी थानों में चालू और बंद सीसीटीवी कैमरों का विस्तृत ब्योरा देने को कहा था. राज्य सरकार की ओर से मंगलवार को जब रिपोर्ट सौंपी गयी तो पीठ ने कहा कि इसमें वे सारे प्रासंगिक ब्योरे मौजूद नहीं हैं, जो मांगे गये थे. कोर्ट ने कहा, ‘‘हमें प्रतीत होता है कि कार्रवाई इस कोर्ट द्वारा आदेश जारी करने के बाद की गई है. क्या हम प्रशासन चलाने के लिए हैं? हमने (अपने आदेश में) जो कहा है, उसे ही अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) की ओर से जारी परिपत्रक में रख दिया गया है.’’
60 करोड़ का क्या हुआ?
जस्टिस कठवल्ला ने कहा, ‘‘आम आदमी यह सोचकर पुलिस स्टेशन जाता है कि शीर्ष कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है और हम नहीं जानते कि राज्य सरकार द्वारा सीसीटीवी लगाने के लिए आवंटित 60 करोड़ रुपये का क्या हो रहा है?’’
कोर्ट ने कहा कि सरकार की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक थाने में सीसीटीवी लगाने पर छह लाख रुपये खर्च किये गये हैं. जस्टिस जाधव ने तब कहा, ‘‘मैंने अपने घर में करीब 35 हजार रुपये खर्च करके सीसीटीवी कैमरे लगाये हैं, लेकिन थानों में छह लाख रुपये खर्च करके भी रिकॉर्डिंग अवधि उतनी लंबी नहीं है, जिसका जिक्र शीर्ष कोर्ट के आदेश में किया गया था.’’ पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है और महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणि को इस मामले में ‘सक्रिय सहयोग’ देने को कहा है.
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