Mumbai News: महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) में कहा कि वह बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के वार्डों के परिसीमन (Delimitation) की प्रक्रिया तब तक आगे नहीं बढ़ाएगी, जब तक कि वार्डों की संख्या कम किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर अगली सुनवाई नहीं हो जाती. अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 दिसंबर निर्धारित की है.


न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति ए एस डॉक्टर की खंडपीठ दो पूर्व पार्षदों द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इन याचिकाओं में एकनाथ शिंदे नीत महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी उस अध्यादेश को चुनौती दी गई है जिसमें नगर निकाय में सीधे निर्वाचित होने वाले पार्षदों की संख्या 236 से घटाकर 227 कर दी गई है.


शिंदे ने पलट दिया था उद्धव ठाकरे का फैसला


राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विक्रम ननकानी ने बुधवार को अदालत से कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक सरकार बीएमसी संबंधी परिसीमन प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाएगी. पीठ ने उनके इस बयान को स्वीकार कर लिया और कहा कि याचिकाकर्ताओं की आशंका का समाधान कर दिया गया है. उद्धव ठाकरे नीत तत्कालीन महा विकास आघाड़ी सरकार ने बीएमसी के वार्डों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 करने का फैसला किया था, लेकिन इस साल जून में उद्धव ठाकरे नीत सरकार गिर गई थी. बाद में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नयी सरकार बनी. शिंदे सरकार ने अगस्त में एक अध्यादेश जारी कर वार्डों की संख्या को पुन: 227 कर दिया.


सरकार बोली- गुप्त उद्देश्यों के साथ दायर की गई याचिकाएं


बीएमसी के पूर्व पार्षदों ने अपनी याचिकाओं में इस फैसले को चुनौती देते हुए मांग की है कि पूर्व सरकार द्वारा किये गए फैसले को बिना किसी बदलाव के लागू किया जाए. हालांकि इस याचिका के खिलाफ राज्य के शहरी विकास विभाग ने बुधवार को दायर एक हलफनामे में कहा कि ये याचिकाएं गुप्त उद्देश्यों के साथ दायर की गई हैं जिन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए. सरकार ने हलफनामे में कहा कि वार्डों में वृद्धि नहीं करने के उसके अध्यादेश के पीछे का कारण यह था कि जनसंख्या में मामूली वृद्धि हुई थी. सरकार ने कहा कि  2011 की जनगणना के अनुसार पार्षदों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 करना अपर्याप्त पाया गया.


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