Skin To Skin जजमेंट देने वालीं जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने दिया इस्तीफा, जानें- क्यों उठाया ऐसा कदम?
स्किन टू स्किन टच मामले में फैसला देकर चर्चा में आईं जस्टिस पुष्पा वी गनेडीवाला ने इस्तीफा दे दिया है. शुक्रवार 11 फरवरी उनके कार्यकाल का आखिरी दिन होगा. जबकि वह 12 फरवरी को रिटायर होने वाली थी.
![Skin To Skin जजमेंट देने वालीं जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने दिया इस्तीफा, जानें- क्यों उठाया ऐसा कदम? Maharashtra Justice Ganediwala who delivered skin skin verdict resigned due retire February 12 Skin To Skin जजमेंट देने वालीं जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने दिया इस्तीफा, जानें- क्यों उठाया ऐसा कदम?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/02/11/4dd33b118f1987aa30d499be4126d37e_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Justice Pushpa V Ganediwala : स्किन टू स्किन टच मामले में फैसला देकर चर्चा में आईं जस्टिस पुष्पा वी गनेडीवाला (Justice Pushpa V Ganediwala) ने अपना इस्तीफा दे दिया है.शुक्रवार यानी 11 फरवरी उनके कार्यकाल का आखिरी दिन होगा.दिलचस्प बात यह भी है कि जस्टिस पुष्पा 12 फरवरी को रिटायर होने वाली थी.गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High court) की महिला अतिरिक्त जज जस्टिस पुष्पा वी के नाम की स्थायी जज के रूप में सिफारिश नहीं करने का फैसला किया था.
पॉक्सो मामले में फैसला सुनाने के बाद आई थी चर्चा में
पुष्पा वी गनेडीवाला अपने चर्चित फैसले के बाद सुर्खियों में आ गई थी. पॉक्सो मामले पर फैसला सुनाते हुए उन्होंने 'स्किन टू स्किन' ‘स्किन टू स्किन’ सहित कुछ विवादास्पद निर्णय दिए थे.उनके अनुसार, अगर आरोपी और पीड़िता के बीच स्किन टू स्किन का संपर्क नहीं हुआ है तो पॉक्सो कानून (POSCO LAW) के तहत यौन अपराध नहीं बनता है. इससे पहले केंद्र सरकार (central government) ने अतिरिक्त जज के रूप में उन्हें दो साल का विस्तार देने के कॉलेजियम के फैसले को लेकर असहमति जताई थी.
जिला जज से हुई थी शुरुआत
1969 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के अमरावती जिले (Amravati District) में जन्मी जस्टिस पुष्पा को 2007 में जिला जज (District Judge) नियुक्त किया गया था. 2019 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज बनाया गया. हालांकि 18 नवंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न प्रावधानों की जानकारी देते हुए जनवरी 2020 में पारित जस्टिस पुष्पा के दो फैसलों को रद्द कर दिया था. जस्टिस गनेडीवाला को तब भारी आलोचना का सामना करना पड़ा. जब उन्होंने एक नाबालिग को गलत तरीके से छूने के आरोपी को बरी कर दिया था.के उन्होंने फैसले में कहा, नाबालिग लड़की को बिना कपड़ा हटाए छूना पॉस्को अधिनियम के तहत अपराध नहीं है. क्योंकि आरोपी और पीड़ित की त्वचा संपर्क में नहीं आई.
यह भी पढ़ें-
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शंभू भद्र](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/fdff660856ace7ff9607d036f59e82bb.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)