Maharashtra Local Body Election Result 2022: महाराष्ट्र की 106 नगर पंचायत और 2 जिला परिषद के लिए हुए चुनाव में बीजेपी (BJP) ने बाजी मारते हुए सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की है. 106 में से 97 नगर पंचायत के नतीजे आज घोषित हुए हैं. 9 पंचायत चुनाव के नतीजे कल आएंगे. जानकारी के मुताबिक बीजेपी 24 नगर पंचायतों में बहुमत में है जबकि कुल 1802 सीटों में से 416 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. 2017 में बीजेपी के 344 नगर पंचायत सदस्य जीते थे. उस वक्त महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार थी. 


क्या कहते हैं चुनावी नतीजे ?


106 नगर पंचायत में 97 के नतीजे आए सामने


25 एनसीपी (378)


24 बीजेपी (416)


18 कांग्रेस (297)


14 शिवसेना (301)


16 अन्य (262)


गढ़चिरौली में 9 नगर पंचायत के नतीजे कल आएंगे


स्थानीय निकाय चुनावों में सबसे ज्यादा नगर पंचायतों पर एनसीपी (NCP) ने झंडा गाड़ा है. वहीं, सबसे ज्यादा पार्षद (सीटें) बीजेपी ने जीती है. कांग्रेस (Congress) तीन नंबर की पार्टी बनी, तो वहीं सीएम की कुर्सी होते हुए शिवसेना चौथे नंबर की पार्टी बनकर रह गई है. हालांकि सत्ता में शामिल तीनों पार्टी को मिलाकर एमवीए (MVA) सरकार ने 57 पंचायत जीतकर निकाय चुनावों में बाजी मारी है. लेकिन अकेले लड़ कर बीजेपी ने भी 24 पंचायत हासिल कर कांटे की टक्कर दी है.


किसे फायदा, किसे हुआ नुकसान?
एनसीपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने जीत को स्वीकार करते हुए बीजेपी पर हमला बोला हैं. पाटिल ने कहा कि एनसीपी को साढ़े तीन जिलों की पार्टी बतानेवाली बीजेपी को हमारे कार्यकर्तओं ने नतीजों के माध्यम से करारा जवाब दिया है. एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने बीजेपी के नंबर एक पार्टी होने का दावा किया. पुरानी सहयोगी शिवसेना (Shiv Sena) को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि एनसीपी की बढ़ती ताकत को देखते हुए एमवीए सरकार में शामिल होना शिवसेना के लिए कितना घाटे का सौदा रहा है, नतीजों से जाहिर होता है.


कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कांग्रेस के प्रदर्शन को संतोषजनक बताया है. पटोले के होम ग्राउंड भंडारा में भले ही एनसीपी से मात मिली हो लेकिन बीजेपी का गढ़ माने जानेवाले विदर्भ में कांग्रेस सबसे आगे है और कोंकण में खाता खोला है, जिससे कांग्रेस संतुष्ट नजर आ रही है. बीजेपी से ओबीसी नेता पंकजा मुंडे का मानना है कि ओबीसी आरक्षण रद्द होने के बाद भी सिर्फ बीजेपी ने उन जगहों पर ओबीसी उम्मीदवार मैदान में उतारे जिस वजह से बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें जीती. हालांकि इन नतीजों पर शिवसेना के किसी बड़े नेता की प्रतिक्रिया अब तक नहीं मिल सकी.


OBC आरक्षण रद्द होने का असर चुनाव पर?
इन नतीजों से किसको सियासी नुकसान हुआ है और किसे फायदा पहुंचा है? जानकरों का मानना है कि यूपी, बिहार और तमिलनाडु की तरह महाराष्ट्र में ओबीसी का राजनीतिक विकल्प नहीं है. इसीलिए यहां ओबीसी सभी पार्टियों में बट जाते हैं. हालांकि इस चुनाव में बीजेपी का सबसे ज्यादा सीटें लड़ने के कारण सबसे ज्यादा सीटें जीतना स्वाभाविक है. तो वहीं एमवीए की तीनों पार्टियों में एनसीपी का ओबीसी से ज्यादा मराठा वोटबेस है, उसे सबसे ज्यादा पंचायत हासिल हुई है. राजनैतिक विश्लेषक रविकिरण देशमुख का मानना है कि OBC आरक्षण रद्द होने का असर बड़े पैमाने पर नहीं दिखा.


इसकी वजह है कि लोकल बॉडी के चुनाव स्थानीय मुद्दों और नेताओं पर लड़े जाते हैं. इसके अलावा राजनीतिक आरक्षण का मुद्दा आम आदमी के लिए नहीं बल्कि सिर्फ चुनाव में उतरे प्रत्याशियों के लिए महत्वपूर्ण है. इसका असर तब देखने को मिलता है जब शिक्षा और नौकरी से जुड़े आरक्षण को ठेस पहुंचती हो. मार्च महीने में होने वाले महानगर पालिका चुनाव से पहले नगर पंचायत में बीजेपी को मिली भारी जीत ने सत्ता में शामिल पार्टियों की मुश्किल बढ़ा दी है. महाराष्ट्र में कुछ ही महीनों में मिनी विधानसभा यानी 28 जिला परिषद, 20 महानगर निगम और 282 नगर पालिकाओं को चुनाव होनेवाला है. इसमें ओबीसी आरक्षण पर आए नए आदेश का किस तरह से असर होगा, ये देखना दिलचस्प होगा.


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