Lok Sabha Election: महाराष्ट्र में दलों के विभाजन के बाद कितना बदला समीकरण? आसान नहीं होगा सीटों का बंटवारा
Lok Sabha Election 2024: महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना में विभाजन के बाद सियासी समीकरण बदल गए हैं. एनसीपी और शिवसेना में टूट के बाद और NDA से गठबंधन के बाद सीटों के बंटवारे पर फैसला आसान नहीं होगा.
Maharashtra Politics: बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी गठबंधन दोनों का मानना है कि लोकसभा में उत्तर प्रदेश के बाद सर्वाधिक संख्या में सांसद भेजने वाले महाराष्ट्र में सीट आवंटन का एक मात्र फार्मूला जीत की संभावना है. उत्तर प्रदेश से 80 लोकसभा सदस्य और महाराष्ट्र से 48 लोकसभा सदस्य चुने जाते हैं. महाराष्ट्र में 2019 के बाद से कई बार राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली है. वर्ष 2019 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने बीजेपी के साथ अपने पुराने गठबंधन को तोड़ दिया था फिर शिवसेना और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को भी दलों में विभाजन का सामना करना पड़ा.
शिवसेना के अधिकतर विधायक अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ हैं जिन्होंने बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया हैं. इसके अलावा अजित पवार भी अपने समर्थक पार्टी विधायकों के साथ पिछले साल शरद पवार नीत एनसीपी से अलग होकर सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हो गए. सत्तारूढ़ एवं विपक्षी दलों के नेताओं ने बताया कि दलों के विभाजन के बाद समीकरण बदलने के कारण सीटों का बंटवारा एक मुश्किल काम हो गया है.
बीजेपी ने तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के साथ मिलकर 2019 में 41 सीट पर जीत हासिल की थी और इस बार बीजेपी ने अपने राष्ट्रवादी जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को 45 सीट जिताने का लक्ष्य रखा है जबकि विपक्षी कांग्रेस 2019 का प्रदर्शन नहीं दोहराना चाहेगी जब उसे मात्र एक सीट पर जीत मिली थी.
बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि सीट बंटवारे के मामले पर केंद्रीय नेतृत्व के साथ चर्चा की जा रही है. विपक्षी गठबंधन ‘महा विकास आघाडी’ में ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी का शरद पवार नीत धड़ा और कांग्रेस शामिल हैं. विपक्षी गठबंधन प्रकाश आंबेडकर नीत वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) को लुभाने की कोशिश कर रहा है लेकिन बाबा साहेब आंबेडकर के पौत्र ने इस बारे में अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है.
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी के 30 से अधिक सीट पर चुनाव लड़ने की संभावना है, जबकि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 10 सीट मांगी हैं लेकिन उसे चार सीट मिलने की संभावना है. शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी 18 सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है. वर्ष 2019 के चुनावों में अविभाजित शिवसेना ने 18 सीट पर ही जीत हासिल की थी.
अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के प्रवक्ता अमोल मिटकरी ने कहा कि उनकी पार्टी पुणे की बारामती सहित 10 सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है. शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने सीटों के आवंटन पर कहा कि एमवीए ने वार्ता पूरी कर ली है और घटक दलों का शीर्ष नेतृत्व जल्द ही इस संबंध में घोषणा करेगा. इस बीच, कांग्रेस नेताओं ने कहा कि उन सीटों पर चर्चा जारी है जिन पर उसने अविभाजित एनसीपी के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था लेकिन 2019 के चुनावों में शिवसेना ने उन पर जीत हासिल की थी. इन सीट के सांसद अब शिंदे गुट का हिस्सा हैं. कांग्रेस अधिकतम 20 सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है, जबकि एनसीपी-शरदचंद्र पवार नौ से 10 निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि प्रकाश आंबेडकर कितनी सीटों की मांग कर सकते हैं. कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा कि अगर वीबीए के साथ गठबंधन नहीं हुआ तो आंबेडकर 2019 की तरह ही कम से कम आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं.