Maharashtra Loudspeaker Controversy: महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार ने गुरुवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध से मुसलमानों से ज्यादा हिंदुओं को नुकसान होगा.


एमवीए ने मनसे अध्यक्ष को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें राज्य के लिए नहीं बल्कि अपने घर में ही 'अल्टीमेटम' देना चाहिए. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Ajit Pawar) ने तीखे लहजे में कहा, "यह किसी की दी गई कुछ समय सीमा के आधार पर नहीं बल्कि कानूनों और संविधान पर चलने वाला राज्य है. वे चाहें तो अपने घरों में इस तरह के 'अल्टीमेटम' दे सकते हैं."


राज ठाकरे की इस शर्त पर कि मनसे का अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक कि राज्य में सभी लाउडस्पीकरों को हटा नहीं दिया जाता या बंद नहीं कर दिया जाता, इस पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक रूप से जन संबोधन यानी पब्लिक एड्रेस सिस्टम पर कानूनों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई होगी. वहीं कांग्रेस महासचिव सचिन सावंत ने कहा कि मुंबई में कम से कम 2400 हिंदू मंदिर हैं जो अपनी प्रार्थना और दूसरे अनुष्ठानों के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं कर पाएंगे और इससे शिरडी के प्रसिद्ध साईंबाबा मंदिर में बहुत प्रतिष्ठित 'काकड़ आरती' भी प्रभावित होगी.


'922 मस्जिदों ने लाउडस्पीकर के लिए अनुमति ली'


सावंत ने कहा, "मुंबई में कुल 2,404 मंदिरों और 1140 मस्जिदों में से, केवल 20 मंदिरों और 922 मस्जिदों ने लाउडस्पीकर के लिए पुलिस की अनुमति ली है. अधिकांश मस्जिदों ने पहले ही पब्लिक एड्रेस सिस्टम के तहत 'अजान' देना बंद कर दिया है. हालांकि इससे करीब 2,200 मंदिर और 222 मस्जिद लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं कर पाएंगी. दूसरी तरफ शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने कहा कि मुंबई में श्री सिद्धिविनायक मंदिर और राज्य भर में दूसरे महत्वपूर्ण मंदिरों के अलावा, लाउडस्पीकर प्रतिबंध अगले गणेशोत्सव और नवरात्रि जैसे प्रमुख हिंदू त्योहारों को प्रभावित करेगा.


हिंदुओं को होगा अधिक नुकसान: किशोर तिवारी


किशोर तिवारी ने कहा, "मनसे की चेतावनियों के साथ, शादियों और दूसरे सामाजिक कार्यक्रमों या सम्मेलनों के आयोजक शिकायत कर रहे हैं कि वे लाउडस्पीकर या डीजे संगीत का उपयोग करने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें मनसे कार्यकर्ताओं से प्रतिशोध का डर है." सचिन सावंत और किशोर तिवारी ने कहा है कि राज ठाकरे के 'स्वार्थी' आंदोलन से मुस्लिम समुदाय की तुलना में हिंदुओं को अधिक नुकसान होगा और मनसे को गैर-मुसलमानों के सामने आने वाले उन नतीजों का सामना करना पड़ेगा.


साईंबाबा मंदिर ने नहीं किया लाउडस्पीकर का उपयोग बंद


श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट, शिरडी की सीईओ भाग्यश्री बनायत-धिवारे ने कहा कि कुछ मीडिया अटकलों के विपरीत, साईंबाबा मंदिर ने अपनी रात और सुबह की आरती के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग बंद नहीं किया है. बुधवार की रात और गुरुवार की सुबह  को साईंबाबा मंदिर की रात्रि आरती जो रात 10 बजे शुरू होती है और सुबह 5.15 बजे से आयोजित की जाने वाली काकड़ आरती पब्लिक एड्रेस सिस्टम पर आयोजित की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार डेसिबल स्तर 45 डीबी तक कम हो गया.


राज्य की छवि के लिए भी हानिकारक है मनसे का पागलपन: सावंत


सचिन सावंत ने कहा कि हिंदू मंदिरों के अलावा, यह ईसाई चर्चों, सिख गुरुद्वारों, बौद्ध विहारों, जैन डेरासरों आदि में दूसरे समुदायों के धार्मिक प्रार्थनाओं, प्रवचनों, कथाओं या कार्यक्रमों को भी प्रभावित करेगा. सावंत ने कहा, "पुलिस के साथ एक बैठक में, सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने मनसे के रुख का विरोध किया है. भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के साथ मनसे का पागलपन और स्वार्थी रुख न केवल बहुसंख्यक समुदाय के लिए, बल्कि महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य की छवि के लिए भी हानिकारक है."


राज ठाकरे ने किया ये दावा


बुधवार को अपने लाउडस्पीकर विरोधी अभियान के पहले दिन राज ठाकरे ने शहर में 90 प्रतिशत मस्जिदों में उनका आह्रान सफल होने का दावा किया है और इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जिन मस्जिदों ने इसका पालन किया किया, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मानदंडों का उल्लंघन किया है, इसलिए उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. हालांकि राज्य में शांति बनी रही, लेकिन मनसे ने लंबे समय तक अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है और कहा है कि यह एक सामाजिक मुद्दा है न कि धार्मिक.


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