Maharashtra: शख्स ने कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से मांगा 1000 करोड़ का मुआवजा, मामले पर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई
Bombay High Court ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को एक नोटिस जारी किया है. अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये कदम उठाया है.
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Bombay High Court News: बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को नोटिस जारी किया है, जिन्होंने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ भागीदारी की है. अदालत ने उनसे 1,000 करोड़ रुपये के मुआवजे के लिए नासिक निवासी द्वारा दायर याचिका पर जवाब देने के लिए कहा है. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनकी 33 वर्षीय बेटी, जो पेशे से डॉक्टर थी, की मार्च 2021 में कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन लेने के लिए मजबूर होने के बाद मृत्यु हो गई.
जनवरी 2021 में लगी थी वैक्सीन
याचिकाकर्ता का दावा है कि कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कारण उनकी बेटी की मौत हो गई, जिसे एसआईआई द्वारा निर्मित किया गया था और अधिकारियों द्वारा उचित सत्यापन के बिना राज्य भर के नागरिकों को लगाई गई थी. न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने अधिवक्ता अभिषेक मिश्रा और विजय कुर्ले के माध्यम से दिलीप लूनावत द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बताया कि याचिकाकर्ता अपनी बेटी डॉ स्नेहल लूनावत की कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कारण असामयिक मृत्यु के लिए मुआवजे की मांग कर रहा था, जो उसे 28 जनवरी, 2021 को लगाई गई थी.
मृतका डॉक्टर के पिता का ये है आरोप
पीठ को बताया गया कि भारत सरकार द्वारा कोविशील्ड वैक्सीन के उपयोग की घोषणा के बाद, उनकी बेटी को वैक्सीन की पहली खुराक लेने के लिए कहा गया, जिसके बाद वह विभिन्न साइड इफेक्ट से पीड़ित होने लगी. याचिकाकर्ता ने कहा कि “जब वह 6 फरवरी को एक कार्यशाला के लिए गुड़गांव गईं तो साइड इफेक्ट और बिगड़ गए, जिसके कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. डॉक्टरों ने कहा कि वह मस्तिष्क में रक्तस्राव, थक्का बनने और कम प्लेटलेट्स से पीड़ित थी.” याचिका में कहा गया है कि इन स्थितियों को कुछ देशों में एस्ट्रा जेनेका और कोविशील्ड टीकों का परिणाम बताया गया था. याचिका में कहा गया है कि जब गुड़गांव में 14 दिनों के अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो परिवार उसे औरंगाबाद के एक अस्पताल ले आया जहां आठ दिनों के बाद उसकी मृत्यु हो गई.
एक कमेटी की रिपोर्ट में किया गया था ये दावा
याचिकाकर्ता के पिता ने आरोप लगाया कि चूंकि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) और विभिन्न अन्य अधिकारियों ने साइड इफेक्ट की सीमा की पुष्टि किए बिना टीके के उपयोग की सिफारिश की थी, इसलिए वह टीकाकरण के कारण अपनी बेटी के नुकसान के लिए मुआवजे की मांग कर रहे थे. बकौल हिन्दुस्तान टाइम्स, याचिका प्रतिकूल घटना के बाद टीकाकरण (एईएफआई) समिति की रिपोर्ट की पुष्टि पर भी निर्भर करती है जिसमें पुष्टि की गई है कि डॉक्टर की मौत टीके के साइड इफेक्ट के कारण हुई थी. याचिका पर सुनवाई के बाद, पीठ ने प्रतिवादियों- एसआईआई, बिल गेट्स, केंद्र और राज्य सरकारों को याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया और याचिका की सुनवाई 17 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी.
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