Maharashtra News: शिवसेना (Shivsena) में बगावत के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में अजित पवार (Ajit Pawar) के विद्रोह से महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला था. एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के गुट वाली शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई और एक साल के बाद अजित पवार (Ajit Pawar) के गुट वाली एनसीपी (NCP) भी सरकार में शामिल हो गई. सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम अजित पवार समेत सभी विधायक यह बयान दे रहे हैं कि महायुति सरकार में सबकुछ ठीक है. हालांकि, पिछले कुछ दिनों से कई बैठकों और कार्यक्रमों से डिप्टी सीएम अजित पवार की अनुपस्थिति चर्चा का विषय बन रही है.


एबीपी माझां के मुताबिक, राजनीतिक हलके में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि अजित पवार गुट विकास फंट के आवंटन को लेकर नाराज है. इस बीच 21 नवंबर को अजित पवार के आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई गई है. विधायकों की बैठक नियमित रूप से प्रत्येक मंगलवार को आयोजित की जाएगी.


कम फंड मिलने का लगा रहे आरोप
 यह बात सामने आई है कि अजित पवार के गुट के विधायक नाराज हैं. अजित पवार के गुट के विधायक सीएम के शहरी विकास, सामाजिक न्याय, रोजगार गारंटी, जल और जल संरक्षण, अल्पसंख्यक और ग्रामीण विकास विभागों से नाखुश हैं. सूत्रों के मुताबिक, विधायकों ने आरोप लगाया है कि एनसीपी विधायकों को बीजेपी और शिंदे गुट के विधायकों की तुलना में कम फंड मिल रहा है.


फंड के दुरुपयोग का आरोप लगा अलग हुए थे ये विधायक
बता दें कि जब शिंदे गुट के विधायकों ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ा था तो उन्होंने तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार में फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाया था. शिंदे गुट के विधायकों ने यह तक आरोप लगाया था कि अजित पवार जो कि उस वक्त महाविकास अघाड़ी सरकार में वित्त मंत्री थे, धन वितरित करते समय गलत तरीके से काम कर रहे थे. 


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