Maharashtra Assembly Monsoon Session 2024: महाराष्ट्र में विपक्षी महा विकास आघाडी (MVA) गठबंधन ने विधानसभा के मानसून सत्र से पहले बुधवार (26 जून) को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की चाय पार्टी का बहिष्कार किया. साथ ही सरकार पर किसानों सहित आम जनता के मुद्दों का समाधान करने में विफल रहने का आरोप लगाया. यह घोषणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार और गठबंधन सहयोगी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अंबादास दानवे ने की.


दरअसल, हर विधानमंडल सत्र से पहले होने वाली परम्परागत चाय पार्टी बुधवार शाम को आयोजित की जानी थी. मुंबई में 27 जून से 12 जुलाई तक आयोजित होने वाले सत्र के दौरान महायुति गठबंधन सरकार 28 जून को विधानमंडल के दोनों सदनों में राज्य का बजट पेश करेगी. लोकसभा चुनावों को देखते हुए राज्य का अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया गया था. 


विपक्षी दलों ने 'हाई-टी' का किया बहिष्कार
विजय वडेट्टीवार ने कहा कि "विपक्षी दलों ने महायुति गठबंधन सरकार के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के विरोध में 'हाई-टी' का बहिष्कार करने का फैसला लिया है. उन्होंने किसानों की दुर्दशा को नजरअंदाज किया और विभिन्न परियोजनाओं की लागत में बढ़ोतरी के माध्यम से करदाताओं के पैसे की ठगी की है." 


वडेट्टीवार और उनकी पार्टी के ही सहयोगी बालासाहेब थोराट, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) विधायक जितेंद्र अव्हाड और दानवे के अलावा छोटे दलों के नेताओं ने प्रेस कॉन्फेंस में भाग लेकर एकजुटता दिखाई. वडेट्टीवार ने सरकार पर स्मार्ट बिजली मीटर और एम्बुलेंस खरीदने में बड़े पैमाने पर लागत में बढ़ोतरी का भी आरोप लगाया.


कांग्रेस नेता ने सरकार पर लगाया ये आरोप
उन्होंने कहा कि "स्मार्ट बिजली मीटर की वास्तविक लागत 2,900 रुपये प्रति यूनिट है और स्थापना शुल्क लगभग 350 रुपये है. हालांकि, राज्य सरकार ने 12,500 रुपये प्रति यूनिट की दर से मीटर खरीदने की योजना बनाई है और इसका ठेका अडाणी को दिया गया है." वडेट्टीवार ने दावा किया कि नई एम्बुलेंस खरीदने की लागत 3,000 करोड़ रुपये है, लेकिन राज्य सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है. 


उन्होंने सरकार पर किसानों को नजरअंदाज करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा बार-बार मांग किए जाने के बावजूद मुख्यमंत्री शिंदे किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने में विफल रहे हैं. वडेट्टीवार ने कहा कि कपास की खरीद कीमत में केवल सात प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि दाल या तुअर में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है.


वहीं ज्वार में छह प्रतिशत और मक्का में 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है. साल 2013 में सोयाबीन 4,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा था, 2024 में भी किसानों को सोयाबीन के लिए वही दर मिल रही है, जो किसानों के मुद्दों को हल करने में राज्य सरकार की विफलता को दर्शाता है.



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