Shab-E- Barat 2022: शब-ए-बारात यह वो रात है जब खुदा अपने बंदों पर अपनी रहमत बरसाते हैं. इस रात में जो भी पाक और साफ मन से खुदा की इबादत करता है या अपने गुनाहों से तौबा करता है तो उसे अल्लाह से माफी मिल जाती है. मुस्लिम समुदाय के लिए शब-ए-बारात (Shab-e-barat) एक प्रमुख त्योहार है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार शब-ए-बारात का त्योहार शाबान महीने की 15वीं तारीख के मध्य रात को मनाया जाता है. जबकि अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार 18 मार्च को सूर्यास्त से शुरू होकर 19 मार्च सुबह अजान के समय तक शब-ए-बारात मनाया गया. इस त्योहार पर मुंबई के मरीन लाइंस के बड़ा कब्रस्तान में लोगों की काफी भीड़ नजर आई.  


शब-ए-बारात पर मुंबई के मरीन लाइन्स के बड़ा कब्रस्तान में उमड़ा लोगों का हुजूम


बहरहाल मुंबई के मरीन लाइन्स के बड़ा क़ब्रस्तान में भी शब-ए-बारात मनाया गया. शब-ए-बारात मनाने के लिए आए एक शख्स सलमान कुरैशी कहते हैं, " इस त्योहार को मृतक की ईद के रूप में माना जाता है, और हम इसे हर साल मनाते हैं."



शब-ए-बारात पर पूर्वजों के लिए इबादत की जाती है


शब-ए-बारात पर मरीन लाइन्स के बड़ा कब्रस्तान पर काफी संख्या में लोगों का हुजूम नजर आया. हर कोई खुदा से इबादत करते हुए और अपनों की कब्र पर फूल व अगरबत्ती लगाकर उन्हें याद करता दिखा.  गौरतलब है कि शब-ए-बारात पर मुस्लिम समाज के लोग मस्जिदों और कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों के लिए इबादत करते हैं. मस्जिदों में नमाज पढ़कर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगी जाती है. इस दिन घरों में काफी पकवान बनते हैं जिन्हें इबादत के बाद गरीबों में बांट दिया जाता है. बता दें कि शब-ए-बारात में मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास तरह की सजावट की जाती है. कब्रों पर चिराग जलाकर उनके लिए मगफिरत की दुआंए मांगी जाती हैं. इस्लाम में इसे चार मुकद्दस रातों में से एक माना जाता है. जिसमें पहली आशूरा की रात, दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बारात और चौथी शब-ए-कद्र होती है.


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