(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maharashtra Politics: कांग्रेस और NCP के इस रवैये से निराश है मुस्लिम समुदाय, जानें- क्या है वजह
Maharashtra News: महाराष्ट्र में राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में उचित प्रतिनिधित्व न मिलने से मुस्लिम समुदाय कांग्रेस और एनसीपी काफी नाराज है. इसके बाद समुदाय की नजर शिवसेना और AIMIM की ओर है.
Maharashtra Muslims Disappointment: महाराष्ट्र (Maharashtra) में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेताओं सहित मुस्लिमों का एक वर्ग राज्य में एमएलसी चुनावों के लिए समुदाय के उम्मीदवारों को नामित नहीं किए जाने से बहुत निराश है. नेताओं का मानना है कि दोनों पार्टियों ने मुस्लिम उम्मीदवारों की अनदेखी की है क्योंकि उन्होंने समुदाय के समर्थन को हल्के में लिया है. कई लोगों ने कहा कि कांग्रेस द्वारा चार बार के विधायक और पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान को शामिल नहीं किया जाना चौंकाने वाला था क्योंकि उम्मीद थी कि 2019 में चांदिवली विधानसभा सीट से 409 वोटों से हार के बाद उनका पुनर्वास किया जाएगा.
शिवसेना और AIMIM की ओर मुस्लिमो की नजर
कांग्रेस के पूर्व विधायक और इस्लाम जिमखाना के अध्यक्ष युसूफ अब्राहनी ने कहा कि "अपनी हार के बावजूद, खान ने पार्टी और लोगों के लिए अथक रूप से काम किया है. हमें उम्मीद थी कि उन्हें राज्यसभा के लिए नहीं तो विधान परिषद के लिए नामित किया जाएगा. इसने समुदाय में व्यापक निराशा पैदा की है क्योंकि सरकार में हमारा प्रतिनिधित्व काफी कम हो गया है. समुदाय में आक्रोश कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इससे उसके मुस्लिम वोटबैंक का नुकसान हो सकता है. जानकारों का मानना है कि समुदाय की मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ गर्मजोशी, कांग्रेस को परेशान कर सकती है.
कांग्रेस और एनसीपी से निराश मुस्लिम समुदाय
कांग्रेस के एक सूत्र ने कहा कि महाराष्ट्र से राज्यसभा के नामांकन के लिए भी खान के नाम पर विचार किया गया था. लेकिन नेतृत्व ने यूपी के एक कवि इमरान प्रतापगढ़ी को चुना. बकौल टाइम्स ऑफ इंडिया, अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष और एनसीपी नेता नसीम सिद्दीकी ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी दोनों को लगता है कि उन्होंने राज्यसभा के लिए एक-एक मुस्लिम को नामित करके समुदाय को बड़ी तरजीह दी है.
एक अन्य मुस्लिम नेता ने कहा, "कांग्रेस और एनसीपी ने एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी को उनके खिलाफ हमला करने के लिए एक और मौका दे दिया है. मुस्लिम वोटों का एक हिस्सा एमआईएम और यहां तक कि शिवसेना को भी जा सकता है क्योंकि समुदाय को ऐसा लगता है कि उसे कांग्रेस और एनसीपी द्वारा छोड़ दिया गया है."