NCP Political Crisis: चाचा-भतीजे का विवाद महाराष्ट्र के लिए कोई नई बात नहीं है. क्योंकि प्रदेश में चाचा-भतीजे के विवाद हमेशा चर्चा में रहते हैं. राजनीतिक टकराव के कारण चाचा-भतीजा विवाद की ऐसी कई कहानियां राज्य ने देखी हैं. कभी-कभी भतीजा चाचा से नाराज होता है तो उसकी नाराजगी दूर कर दी जाती है. सुलह हो जाती है और विषय को कुछ देर के लिए छोड़ दिया जाता है. फिलहाल, चाचा-भतीजे शरद पवार और अजित पवार की लड़ाई ने राज्य में सरगर्मी बढ़ा दी है.


अजित पवार और शरद पवार के बीच विवाद अब चरम पर पहुंच गया है. तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर चाचा-भतीजे के बीच विवाद शुरू हो गया है. एबीपी माझा की एक खबर के अनुसार, चाचा-भतीजे के बीच पहले भी राजनीतिक मतभेद रहे हैं. ठाकरे, मुंडे, देशमुख जैसी लंबी सूची है. 


बालासाहेब ठाकरे और राज ठाकरे
बालासाहेब के जीवनकाल में यह सवाल था कि शिवसेना की कमान किसे सौंपनी चाहिए...राज को या उद्धव को...बालासाहेब ने उद्धव ठाकरे को चुना और उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष का पद दिया और अंततः इसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली. 27 नवंबर 2005 को राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी. महाराष्ट्र नवनिर्माण पार्टी की स्थापना 9 मार्च 2006 को हुई थी. पहली बार किसी ठाकरे ने शिवसेना छोड़ी. इसे महाराष्ट्र में चाचा-भतीजा विवाद की बड़ी घटना के तौर पर देखा जा रहा है.


गोपीनाथ मुंडे-धनंजय मुंडे
बीड जिले में गोपीनाथ मुंडे धनंजय मुंडे चाचा और भतीजे में विवाद हो गया. धनंजय मुंडे को गोपीनाथ मुंडे के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता था. धनंजय मुंडे को गोपीनाथ मुंडे ने बीड की राजनीति की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी. गोपीनाथ मुंडे केंद्र में चले गए, लेकिन राज्य में पंकजा मुंडे को उम्मीदवार बनाया गया. तभी चाचा-भतीजे में बहस छिड़ गई. उनकी नाराजगी दूर करने के लिए धनंजय मुंडे को विधान परिषद में एमएलए सीट दी गई. पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी. धनंजय मुंडे ने अपने चाचा का हाथ छोड़ दिया और घड़ी उनके हाथ में दे दी.  


जयदत्त क्षीरसागर-संदीप क्षीरसागर
मुंडे चाचा-भतीजा विवाद को बीड के लोगों ने देखा, जिसके बाद बीड में क्षीरसागर चाचा-भतीजा विवाद शुरू हो गया. पिछले साल बीड के एनसीपी विधायक संदीप क्षीरसागर ने अपने चाचा पूर्व मंत्री जयदत्त क्षीरसागर पर लाखों रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी. इसके बाद विवाद बढ़ गया. क्षीरसागर परिवार तीन बार सांसद रह चुका है. लेकिन चाचा जयदत्त क्षीरसागर और भतीजे संदीप क्षीरसागर इस समय आमने-सामने हैं. 2019 के चुनाव में चाचा-भतीजे में लाइव फाइट देखने को मिली. भतीजे संदीप ने एनसीपी से और चाचा जयदत्त ने शिवसेना से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में भतीजे को हार का सामना करना पड़ा. चाचा को मिला मंत्री पद...तो भतीजे ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप.


सुनील तटकरे-अवधूत तटकरे
फिलहाल एनसीपी में चाचा-भतीजे के बीच विवाद चल रहा है. लेकिन इससे पहले एनसीपी में एक और चाचा-भतीजे का विवाद हो गया था. एनसीपी नेता और सांसद सुनील तटकरे और उनके भतीजे अवधूत तटकरे के बीच बहस हो गई. जब सुनील तटकरे अपनी बेटी अदिति तटकरे को राजनीति में लाए तो अवधूत बेहद नाराज हो गए थे. इसलिए उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए अपने चाचा से नाता तोड़ लिया और सीधे शिवसेना में शामिल हो गए. इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गये.


अनिल देशमुख-आशीष देशमुख
विदर्भ में देशमुख परिवार में भी चाचा-भतीजे के बीच राजनीतिक मतभेद थे. एनसीपी नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और उनके भतीजे आशीष देशमुख के बीच राजनीतिक मतभेद बढ़ गए. 2014 में आशीष देशमुख ने अनिल देशमुख को हराया था. फिर 2019 में अनिल देशमुख ने इस हार का बदला लिया. अनिल देशमुख फिलहाल NCP में हैं. आशीष देशमुख हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए हैं.


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