Maharashtra Politics: 'समय बदल गया, न्याय बदल गया, पार्टी की दिनदहाड़े डकैती हुई...', जयंत पाटिल ने साधा निशाना
Jayant Patil on Maharashtra Politics: जयंत पाटिल (NCP leader Jayant Patil) ने कहा, नतीजे देते वक्त विधायकों की संख्या को ध्यान में रखा गया. इंसाफ का फैसला जनता की अदालत में होना है.
Shiv Sena Symbol Row: महाराष्ट्र में सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट और उद्धव ठाकरे के बीच जारी आरोप प्रत्यारोप के बीच एनसीपी नेता जयंत पाटिल (NCP leader Jayant Patil) ने बड़ा बयान दिया है. पाटिल चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा शिंदे गुट के पक्ष में फैसला दिए जाने पर बोल रहे थे. उन्होंने इसे लूट बताया है. पाटिल ने कहा कि, उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने चुनाव आयोग को आठ लाख से अधिक दस्तावेज दिए हैं. हालांकि, फिर भी फैसला एकनाथ शिंदे के पक्ष में दिया गया, इस वजह से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कह सकता है कि चूंकि पार्टी शिंदे की है तो निलंबन का सवाल ही नहीं उठता. पाटिल ने कहा कि यह पार्टी को अगवा कर आए दिन की लूट है.
पाटिल ने सांगली मिराज कुपवाड़ नगर निगम के विभिन्न वार्डों में विकास कार्यों का लोकार्पण किया. उन्होंने कहा कि, समय बदल गया है, न्याय बदल गया है. जयंत पाटिल ने कहा कि लोग कह रहे हैं कि जिनसे न्याय की उम्मीद की जाती है, उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले छह महीने से सिर्फ एक पार्टी को भगाने का काम चल रहा है. अब जनता की अदालत में न्याय के लिए जाना होगा. जयंत पाटिल ने यह भी कहा कि जनता ने ही इंदिरा गांधी को हराया था और जनता ने ही उन्हें सिर पर बिठाया था.
पाटिल ने कहा कि, लोगों को अब शक होने लगा है कि देश में कानून है या नहीं. जो न्याय दे रहे हैं उनकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई है. उद्धव ठाकरे द्वारा आठ लाख दस्तावेज देने के बावजूद एकनाथ शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाया गया है. जयंत पाटिल ने कहा कि नतीजे देते वक्त विधायकों की संख्या को ध्यान में रखा गया. जयंत पाटिल ने कहा कि इंसाफ का फैसला जनता की अदालत में करना है.
नागरिकों को रहना चाहिए सावधान-पाटिल
पाटिल ने कहा कि, देश की जनता बहुत समझदार है. देश में जो हो रहा है वह ठीक नहीं है. देश में महंगाई काफी बढ़ गई है. जयंत पाटिल ने कहा कि सत्ता पक्ष इस बारे में कुछ नहीं कह रहा है. जब देश की सरकार विफल होती है तो धर्म का सहारा लिया जाता है और इसके माध्यम से भावनाएं पैदा की जाती हैं. इससे लोग संगठित होना चाहते हैं और बाकी सब भूल जाते हैं. यदि सभी क्षेत्रों में आम आदमी को परेशान किया जा रहा है तो नागरिकों को सावधान रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस फूल से महक निकलती है उसे ही फूल कहना चाहिए. जयंत पाटिल ने कहा कि कमल भले ही यह देखने में अच्छा लगता है, लेकिन आप इसे पास ले जाकर सूंघ नहीं सकते.
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