NCP Political Crisis: एनसीपी नेता अजित पवार के NDA में शामिल होने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में जबरदस्त घमासान देखने को मिल रहा है. अजित पवार के पार्टी छोड़ने से शरद पवार को बड़ा झटका लगा है. कहा जा रहा है कि शरद पवार के लिए ये 'दोहरी मार' की तरह है. एक के बाद एक एक नई बात सामने आ रही है. एक और जहां उनके भतीजे ने उनके साथ बगावत की वो कम नहीं था की दूसरी तरफ उनके सबसे करीबी और जिन्हें उनका संकट मोचन कहा जाता था आज वो भी उनके खिलाफ हो गए हैं. 


पवार के संकटमोचक  
माना जाता है की प्रफुल्ल पटेल एनसीपी के संकटमोचन थे. वे हमेशा पवार के साथ खड़े रहे. 1999 में पार्टी के गठन के साथ ही वह लोकसभा और विधानसभा में सीटों के आवंटन और कैबिनेट गठन में बड़ी भूमिका निभाई. दिवगंद नेता अहमद पटेल के साथ अच्छे सम्बंधों की वजह से महाविकास अघाड़ी को बनाने में भी उन्हें बड़ा खिलाड़ी माना जाता है. 


क्या नाराज थे अजित पवार?
शरद पवार ने 10 जून को एक बड़ा एलान किया था जिसमें उन्होंने बेटी सुप्रिया सुले के साथ प्रफुल्ल पटेल को एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था. माना जा रहा है इस घोषणा से भतीजे अजित पवार को बुरा लगा. क्योंकि उस दौरान विपक्ष में नेता रहे अजित पवार को कोई भूमिका नहीं मिली थी.


क्या ये नेता बनेंगे सहारा?
अजित पवार के साथ गए कई एनसीपी नेताओं के बाद भी शरद पवार के साथ इस वक्त जयंत पाटिल, जितेंद्र आव्हाड, रोहित पवार, अनिल देशमुख जैसे भरोसेमंद नेता मौजूद हैं.


शरद पवार का दावा
शरद पवार ने दावा किया, अजित पवार के साथ गए कुछ साथियों ने मुझसे संपर्क किया है. उन्होंने मुझसे कहा है कि हमारी एक अलग भूमिका है. इसलिए अगले दो-तीन दिनों में पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी.


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