(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maharashtra Political Crisis: 'न थका हुआ हूं, न रिटायर हूं, बल्कि...' भतीजे के आरोपों पर पहली बार खुलकर बोले शरद पवार
Maharashtra NCP Political Crisis: शरद पवार ने अजित गुट के आरोपों का खुलकर जवाब दिया है. कुछ दिन पहले उनके भतीजे ने एनसीपी अध्यक्ष को रिटायर होने की सलाह दी थी.
Maharashtra NCP Political Crisis: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि वह न तो थके हैं और न ही सेवानिवृत्त (रिटायर) हुए हैं. 83 वर्षीय एनसीपी अध्यक्ष ने कहा, ''मैं न तो थका हूं और न ही सेवानिवृत्त हुआ हूं, बल्कि जोश से भरा हुआ हूं.'' इससे पहले अजित पवार ने कहा था कि उनके चाचा को अब रिटायर हो जाना चाहिए.
क्या बोले अजित पवार?
अजित पवार ने चाचा के बारे में कहा था, ''आपने मुझे सबके सामने खलनायक के रूप में चित्रित किया. मेरे मन में अभी भी आपके (शरद पवार) प्रति गहरा सम्मान है...लेकिन आप मुझे बताएं, आईएएस अधिकारी 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं...राजनीति में भी बीजेपी के नेता 75 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं. आप लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का उदाहरण देख सकते हैं. ..यह नियम नई पीढ़ी को आगे बढ़ने का मौका देता है.''
अजित पवार की बगावत
अजित पवार ने पिछले हफ्ते एनसीपी में बगावत का नेतृत्व किया था और महाराष्ट्र के नए उपमुख्यमंत्री बन गए हैं. शरद पवार ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए 64 वर्षीय भतीजे के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह चाहते हैं कि चाचा सेवानिवृत्ति ले लें और आराम करते हुए 100 साल तक जीवित रहें. पवार ने हंसते हुए दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लिखी एक प्रसिद्ध कविता का भी पाठ किया.
रिटारटमेंट की सलाह पर किया पटलवार
पवार ने कहा कि मौजूदा कैबिनेट में 60-70 साल की उम्र के लोग शामिल हैं, लेकिन अगर किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा है तो उम्र किसी को भी अच्छा काम करने या समाज में योगदान देने में बाधा नहीं बन सकती! उन्होंने कहा, “जब मैं 1978 में मुख्यमंत्री था, मेरी आंखों के सामने एक व्यक्ति थे… उनका नाम मोरारजी देसाई था. जब वह पीएम बने तो उनकी उम्र 84 साल थी.'' शरद पवार ने 37 साल की उम्र में महाराष्ट्र के सीएम के रूप में अपने पहले कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि इस पद को संभालने वाले वह सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे और यह रिकॉर्ड अभी भी कायम है.
दो गुटों में एनसीपी
2 जुलाई को एनसीपी में विभाजन के बाद नासिक के येओला में अपनी पहली बड़ी रैली को संबोधित करने की तैयारी करते हुए शरद पवार ने कहा कि जिले को भारत की स्वतंत्रता के इतिहास में विशेष स्थान प्राप्त है. 1950 के सितंबर में यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ऐतिहासिक सत्र आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता पी. डी. टंडन ने की. इस जिले ने देश को कई महान नेता दिए हैं और दिवंगत वाई.बी. चव्हाण, जो महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री बने (1 मई, 1960) नासिक से लोकसभा में पहुंचे थे, और बाद में भारत के उप प्रधानमंत्री बने.
शरद पवार ने कहा, "चव्हाण हमारे समय के युवाओं के सामाजिक-राजनीतिक रोल मॉडल थे...जब देश में चीनी संकट आया, तो तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें दिल्ली बुलाया और रक्षा मंत्री बनाया (नवंबर 1962 में).". एनसीपी सुप्रीमो ने कहा कि जिस तरह नासिक के लोगों ने चव्हाण को अपार समर्थन दिया था, उसी तरह उन्होंने आज उसी जिले से अपना राजनीतिक दौरा शुरू किया है.
संयोग से, येओला शरद पवार के एक समय के करीबी विश्वासपात्र रहे छगन भुजबल का गढ़ है, जिन्होंने अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी से इस्तीफा दे दिया है. शरद पवार ने याद किया कि कैसे 1995 और 1999 में दो बार मझगांव, मुंबई विधानसभा सीट पर भुजबल की हार के बाद,वह 1985 और 1990 में दो बार मझगांव से चुने जाने वाले पार्टी के शुरुआती विधायकों में से थे.
शरद पवार ने कहा, “अपनी हार के बाद वह विधानसभा के लिए चुने जाने के इच्छुक थे. इसलिए पार्टी और नासिक के लोगों के साथ चर्चा करने के बाद हमने सुझाव दिया कि उन्हें सुरक्षित सीट येओला से चुनाव लड़ना चाहिए और वह विजयी हुए थे.” उन्होंने बताया कि कैसे शनिवार सुबह मुंबई से नासिक जाने के रास्ते में हजारों लोगों के चेहरों पर भाव देखकर उनमें जोश आ गया और उन्हें अपनी पार्टी पर छाए मौजूदा संकट के बारे में और अधिक आत्मविश्वास महसूस हुआ.