Majhi Ladaki Bahin Yojna: महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद राज्य भर में पात्र महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए बनाई गई महत्वाकांक्षी योजना 'लड़की बहिन योजना' के लिए गहन जांच प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी हो रही है. इस योजना से पहले से ही दो करोड़ से अधिक महिलाओं को लाभ मिल रहा है. सरकार अब यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि सहायता केवल योग्य प्राप्तकर्ताओं तक ही पहुंचे.


इस वेरिफिकेशन प्रोसेस का उद्देश्य है कि एप्लिकेशन करने वालों के दावों का पता लगा सके कि वो सही है या नहीं, ताकि वित्तीय सहायता के वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित हो. योजना के तहत लाभ प्राप्त करने वाली हर महिला को इस वेरिफिकेशन प्रोसेस से गुजरना होगा, जिसकी मदद से गलत दावे कर योजना का लाभ लेने वालों को हटाया जा सके. 


राज्य के वित्तीय विभाग के मुताबिक जांच में लगभग सभी दो करोड़ आवेदक शामिल होंगे, जिन्होंने पहले ही इस योजना के तहत किश्त ली है. इस प्रक्रिया के माध्यम से गलत दावे कर या धोखाधड़ी करने वालों की पहचान करने के लिए आधिकारिक रिकॉर्ड के साथ जमा किए गए दस्तावेजों की क्रॉस-चेकिंग की जाएगी. इस तरह से वित्तीय विभाग की कोशिश यही है कि जो लोग योग्य हैं, जिन्हें आर्थिक मदद की जरूरत है उन्हें ही इस योजना के तहत सरकारी मदद मिले.


इन दस्तावेजों की होगी जांच



  • आय प्रमाण: आवेदकों को अपने परिवार की वार्षिक आय की पुष्टि करने वाले दस्तावेज़ जमा करने होंगे, जिसकी सीमा 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष है.

  • आयकर प्रमाण पत्र: लाभार्थियों की वैधता को मान्य करने के लिए इनकी जांच की जाएगी.

  • सेवानिवृत्ति पेंशन और वेहीकल ओनरशिप: पेंशन प्राप्त करने वाले या चार पहिया वाहन के मालिक आवेदकों को अतिरिक्त जांच का सामना करना पड़ेगा.

  • लैंड ओनरशिप: पांच एकड़ से अधिक भूमि की मालिक महिलाएं इस योजना के लिए पात्र नहीं होंगी.

  • प्रति परिवार लाभार्थियों की सीमा: एक परिवार में कई दावों की समस्या को हल करते हुए, प्रति परिवार केवल दो महिलाओं को लाभ दिया जाएगा.


कैसे होगी जांच?



  • दस्तावेजों की क्रॉस चेकिंग: पहले चरण में आवेदकों द्वारा प्रस्तुत पहचान प्रमाण, आय विवरण और अन्य संबंधित दस्तावेजों का सत्यापन शामिल है.

  • फील्ड वेरिफिकेशन: अधिकारी सीधे सत्यापन के लिए लाभार्थियों के घर जाएंगे. इसमें पात्रता की पुष्टि करने के लिए डोर-टू-डोर सर्वे शामिल हो सकते हैं.

  • डेटा मैचिंग: सरकार द्वारा किए गए दावों की पहचान करने के लिए लाभार्थी के डेटा की तुलना अन्य आधिकारिक डेटाबेस जैसे मतदाता सूची, आयकर रिकॉर्ड या आधार-लिंक्ड डेटा से करेगी.

  • शिकायतें और व्हिसलब्लोइंग: सरकार नागरिकों को हेल्पलाइन, ऑनलाइन पोर्टल या फील्ड एजेंटों के माध्यम से किसी भी संदिग्ध धोखाधड़ी गतिविधि की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करेगी.

  • स्थानीय नेताओं की भागीदारी: सत्यापन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पंचायत प्रमुख या शहरी निकाय प्रतिनिधियों जैसे स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधि भी भाग ले सकते हैं।


कौन करेगा जांच?



  • सूत्रों के अनुसार इस प्रक्रिया में राज्य और स्थानीय सरकारी अधिकारियों, सामाजिक कल्याण टीमों सहित कई विभाग शामिल होंगे.

  • राज्य/स्थानीय सरकारी अधिकारी: जिला या ब्लॉक स्तर के अधिकारियों सहित स्थानीय प्राधिकरण अपने-अपने क्षेत्रों में लाभार्थियों के सत्यापन के लिए जिम्मेदार होंगे.

  • समाज कल्याण विभाग: महिला कल्याण या सामाजिक न्याय की देखरेख करने वाला विभाग राज्य स्तर पर जांच का नेतृत्व करेगा.

  • जांच प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लाभ केवल उन लोगों तक पहुंचे जो वास्तव में इसके हकदार हैं और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की अखंडता को बनाए रखना है.

  • महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग ने सभी वित्तीय योजनाओं को रोक दिया था. चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को आदर्श आचार संहिता (MCC) के दौरान उन योजनाओं को लागू करने से रोकने का निर्देश दिया, जो सीधे मतदाताओं को प्रभावित कर सकती हैं.



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