Maharashtra News: कपास के बीज निर्माताओं के लिए नई मुसीबत, बाजार में आया अवैध कॉटन, कार्रवाई की मांग
Maharashtra News: उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस साल अवैध रुप से इसके रिकॉर्ड 90 लाख पैकेट बिकने की उम्मीद है.
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Maharashtra Cotton Farming: महाराष्ट्र में कपास (कॉटन) की बुवाई करने वाले किसानों के लिए एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है. खरीफ सीजन की बुवाई से पहले, बीज निर्माताओं ने अवैध 'ट्रांसजेनिक आनुवंशिक' रूप से संशोधित (जीएम) कपास की बड़े पैमाने पर बिक्री पर आगाह किया है. उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस साल अवैध रुप से इसके रिकॉर्ड 90 लाख पैकेट बिकने की उम्मीद है, जो देश में 120 लाख हेक्टेयर या उससे ज्यादा कपास की खेती के क्षेत्र के लगभग 20 प्रतिशत के बराबर है.
बैसिलस थुरिंगिनेसिस कपास किसानों को पसंद
बीटी (बैसिलस थुरिंगिनेसिस) कपास देश में व्यावसायिक खेती के लिए स्वीकृत एकमात्र जीएम कपास है. बैसिलस थुरिंगिनेसिस कपास किसानों द्वारा काफी पसंद किया जाता है, क्योंकि यह पिंक बॉलवर्म (गुलाबी इल्ली) के लिए प्रतिरोधी है. महाराष्ट्र के कपास के खेतों में पिंक बॉलवर्म या गुलाबी इल्ली (Pink Bollworm-PBW) का असर दिखाई देने से किसान परेशान होते हैं. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, गुलाबी बॉलवर्म कपास का सबसे बड़ा दुश्मन कीट है. यह कीड़ा अपना पूरा जीवन कपास पर ही पूरा करता है और यह छोटे पौधे से लेकर कली, फूल तक को खाकर उसे नुकसान पहुंचाता है.
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भारत में दूसरे ट्रांसजेनिक संस्करण, हर्बिसाइड टॉलरेंट (एचटी) बीटी कपास, को अभी वैध किया जाना बाकी है. जब किसान एचटी बीटी कपास लगाते हैं, तो वे खेतों में घास-फूस या खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए ग्लाइफोसेट नाम के रसायन का छिड़काव कर सकते हैं. यह किसानों के लिए उपलब्ध एकमात्र रसायन है, जो ज्यादा समय लेने के साथ में महंगा भी है.
पिछले कुछ सालों में, किसानों ने एचटी बीटी की ओर रुख किया है, हालांकि यह अवैध है. शुरु में केवल 5-6 प्रतिशत क्षेत्र को ही कवर करता था, लेकिन इस तरह के वैरिएंट पिछले साल लगातार बढ़कर 17 प्रतिशत हो गया है. इस साल, उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस वैरिएंट की बिक्री 90 लाख पैकेट को पार करने की उम्मीद है. एक दूसरे सूत्र ने कहा "बाजारों में लाई गई लिंट की फसल की रिकॉर्ड उच्च कीमतों से किसान कपास के लिए दूसरी फसलों को छोड़ देंगे. एचटी बीटी कपास की आसान उपलब्धता को देखते हुए, कई किसान निश्चित रूप से इसके लिए जाएंगे."
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