1993 Mumbai Serial Blasts Case: 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस में सोमवार (7 अक्टूबर) को एक विशेष अदालत में सात आरोपियों के खिलाफ तीसरे फेज की सुनवाई शुरू हुई. ये फरार चल रहे थे और अलग-अलग समय पर पकड़े गए थे. सुनवाई के दो सेटों में, अदालत ने 106 को दोषी ठहराया है. इनमें याकूब मेमन भी शामिल है, जिसे जुलाई 2015 में फांसी दी गई थी.


इस मामले में गैंगस्टर अबू सलेम को 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 12 मार्च, 1993 को मुंबई के अलग-अलग हिस्सों में 12 बम विस्फोट हुए थे, जिसमें 257 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक लोग घायल हुए. यह उस समय के दुनिया के सबसे घातक आतंकवादी हमलों में से एक था.


मुंबई ब्लास्ट मामले में गवाहों की हुई रिकॉर्डिंग


पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक ये मुकदमा विशेष आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के न्यायाधीश वी डी केदार के समक्ष सोमवार (7 अक्टूबर) को दो गवाहों की गवाही की रिकॉर्डिंग के साथ शुरू हुआ. सात लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं, इसमें फारूक मंसूरी उर्फ ​​फारूक टकला, अहमद लंबू, मुनाफ हलारी, अबू बकर, सोहैब कुरेशी, सईद कुरेशी और यूसुफ बटका हैं.


फारूक मंसूरी पर क्या है आरोप?


अभियोजन पक्ष के मुताबिक मंसूरी ने कथित तौर पर लंबू, बकर, कुरेशी और बटका के रहने और ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध कराई थी. ये चारों बम बनाने का प्रशिक्षण लेने के लिए पाकिस्तान गए थे. हलारी पर विस्फोटों में इस्तेमाल किया गया स्कूटर खरीदने का आरोप है. अभियोजन पक्ष मुकदमे के इस चरण के दौरान 41 नए गवाहों से पूछताछ कर सकता है.


मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस में 26 आरोपी अभी भी फरार


एक अधिकारी के मुताबिक, मामले में 26 आरोपी अभी भी फरार हैं. 2007 में खत्म हुए मुकदमे के पहले चरण में 100 लोगों को दोषी ठहराया गया था. याकूब मेमन समेत उनमें से बारह को मौत की सजा दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने 11 की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था. 


याकूब मेमन को विस्फोटों की साजिश और वित्तपोषण का दोषी ठहराया गया था, 30 जुलाई 2015 को फांसी दे दी गई थी. 2017 में छह अन्य को दोषी ठहराया गया था. उनमें से दो को मौत की सजा मिली.


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