Maharashtra News: औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदले के खिलाफ हाई कोर्ट में सुनवाई आज, याचिकाकर्ताओं ने ये आरोप लगाए हैं
Mumbai News : औरंगाबाद का नाम बदलने के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया है कि यह निर्णय संविधान की अवहेलना है. इसमें दावा किया गया है कि 2001 में भी राज्य सरकार ने नाम बदलने का प्रयास किया था.
मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के औरंगाबाद (Aurangabad) और उस्मानाबाद (Osmanabad) जिले का नाम बदले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं (PIL)पर बांबे हाईकोर्ट (Bombay High Court) आज सुनवाई करेगा.औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinagar) किए जाने के खिलाफ औरंगाबाद निवासी मोहम्मद मुस्ताक अहमद,अन्ना साहब खंडारे और राजेश मोरे नाम के व्यक्तियों ने याचिका दायर की है. वहीं उस्मानाबाद का नाम धाराशिव किए जाने को लेकर उस्मानाबाद के निवासी किशोर गजभिये आदि ने दायर की है.
पहली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने क्या कहा था
हाई कोर्ट ने एक अगस्त को इन याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और किशोर सी संत की खंडपीठ ने कहा था कि अगस्त में कई छुट्टियां हैं और इसलिए सरकार काम नहीं करेगी.पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की और आगे की सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तारीख तय की थी.
राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली वाली महाविकास आघाड़ी (एमवीए) की सरकार ने 29 जून को अपने आखिरी कैबिनेट मीटिंग में औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने का फैसला किया था.वहीं शिवसेना में बगावत कर आए वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 16 जुलाई को कैबिनेट में एक नया प्रस्ताव पारित किया. इसमें औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर करने और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव किए जाने को मंजूरी दी गई.
याचिकाकर्ताओं ने क्या आरोप लगाए हैं
औरंगाबाद का नाम बदलने के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया है कि यह निर्णय संविधान की अवहेलना है. इसमें दावा किया गया है कि 2001 में भी राज्य सरकार ने औरंगाबाद शहर का नाम बदलने का प्रयास किया था, लेकिन इसे रद्द कर दिया गया था.उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने राजनीतिक कारणों से अपने अंतिम समय पर अनधिकृत रूप से औरंगाबाद का नाम बदलने का मुद्दा कैबिनेट बैठक में उठाया था.याचिकाकर्ताओं का कहना है कि साथ ये फैसले राजनीति से प्रभावित हैं. उनका कहना है कि सरकार के इस कदम से धार्मिक और सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा मिलेगा.इसमें अपील की गई है कि इसे कानूनन अमान्य घोषित किया जाए.
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