Maharashtra: बिजली कर्मचारियों ने खत्म की 72 घंटे की हड़ताल, फडणवीस बोले- निजीकरण का कोई इरादा नहीं
महाराष्ट्र की सरकारी बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में तीन बिजली कंपनियों के कर्मचारी 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए थे. सरकार से आश्वासन मिलने पर अब उन्होंने हड़ताल खत्म करने का फैसला किया है.
Maharashtra Electricity Workers Strike: महाराष्ट्र की तीन बिजली कंपनियों के कर्मचारियों ने राज्य सरकार के आश्वासन के बाद अपनी हड़ताल वापस ले ली है. बता दें कि निजीकरण को खिलाफ महाराष्ट्र की महावितरण, महापरेशन और महानिरमिति बिजली कंपनियों के कर्मचारियों ने बुधवार को हड़ताल शुरू की थी, जिसके बाद सरकार ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वह बिजली कंपनियों का निजीकरण नहीं करने जा रही है. सरकार द्वारा भरोसा दिए जाने के बाद कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली.
फडणवीस बोले- निजीकरण का कोई इरादा नहीं
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और ऊर्जा विभाग के प्रमुख देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार का बिजली कंपनियों के निजीकरण का कोई इरादा नहीं है. देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद विभिन्न मांगों के लेकर 72 घंटे तक चली इस हड़ताल में शामिल होने वाले यूनियनों में से एक सबऑर्डिनेट इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय ठाकुर ने दोपहर बाद हड़ताल वापस लेने की घोषणा की.
निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर चले गए थे कर्मचारी
बता दें कि महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (महावितरण), महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (महापरेशन) और महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन कंपनी लिमिटेड (महानिर्मिती) बिजली कंपनियों के कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एक दिन पहले हड़ताल पर चले गए थे. डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार और ट्रेड आंदोलन कर रही ट्रेड यूनियनों के बीच संवादहीनता की वजह से यह हड़ताल हुई. यदि सरकार और इन यूनियनों के बीच पहले बैठक हो गई होती तो यह हड़ताल नहीं होती. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का किसी भी बिजली कंपनी के निजीकरण का इरादा नहीं है.
मालूम हो कि बिजली कंपनियों की 31 यूनियनों की एक कार्य समिति, महाराष्ट्र राज्य कर्मचारी, अधिकारी और अभियान संघर्ष समिति ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले महीने आंदोलन शुरू किया था. उनकी प्रमुख मांग थी कि अडानी समूह की बिजली सहायक कंपनी को समानंतर वितरण लाइसेंस ना जारी किया जाये, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि लाइंसेंस जारी करने से सरकारी बिजली कंपनियों का निजीकरण हो जाएगा.
गौरतलब है कि अडानी ट्रांसमिशन की सहयाक कंपनी अडानी इलेक्ट्रिसिटी नवी मुंबई लिमिटेड ने महावितरण के अधिकार क्षेत्र के तहत भांडुप, मुलुंड, ठाणे, नवी मुंबई, पनवेल, तलोजा और शहरी क्षेत्रों में बिजली सप्लाई करने के लिए पिछले साल नवंबर में टसमानांतर लाइसेंसट के लिए महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (एमईआरसी) में आवेदन किया था.
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