Bombay High Court Verdict: महाराष्ट्र में एक युवती का सपना पुलिस में भर्ती होने का था, लेकिन चार साल पहले एक मेडिकल टेस्ट के बाद उसे "पुरुष" घोषित कर दिया गया था. अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सराकर को युवती को पुलिस महकमे में नौकरी देने का निर्देश दिया है. इस अनोखे मामले में साथ ही कोर्ट ने राज्य से युवती के मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा है.


युवती ने 2018 में एससी वर्ग से परीक्षा दी थी
बता दें कि इस युवती ने नासिक में पुलिस में कांस्टेबल पद पर भर्ती के लिए साल 2018 में अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग से परीक्षा दी थी. परीक्षा में पास होने के बाद युवती ने शारीरिक परीक्षा भी पास कर ली. लेकिन उस दौरान जब युवती का मेडिकल टेस्ट किया गया, तो पाया कि युवती लड़की नहीं बल्कि पुरुष है. 


मेडिकल टेस्ट में पाया लड़की, लड़का है 
मेडिकल टेस्ट में पाया गया कि लड़की के पेट में गर्भाशय और अंडाशय नहीं था. मेडिकल के काफी समय बाद जब युवती को नौकरी के लिए कॉल लेटर नहीं आया, तो उसने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से पुलिस से जानकारी मांगी. जानकारी में पता चला कि एससी वर्ग में महिला वर्ग के लिए 168 अंक की मेरिट घोषित की गई. जबकि पुरुष एससी वर्ग के लिए मैरिट 182 अकं पर बंद हुई है. युवती को परीक्षा में 200 में से 171 अंक मिले थे. चूंकि युवती मेडिकल जांच में पुरुष पायी गई है, इसलिए उसे नौकरी में नियुक्ति के लिए उसके नाम पर विचार नहीं किया गया है.


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बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
इसके बाद युवती ने याचिका दायर करके बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट में युवती ने कहा, "वह जन्म से लड़की है. उसे लड़की के तौर पर ग्रामपंचायत की ओर से जन्म प्रमाणपत्र जारी किया गया है. उसने अपनी पढ़ाई लड़की के तौर पर की है. स्कूल और कॉलेज से जो पहचान पत्र मिला है, उसमे पहचान लड़की के तौर पर की गई है. क्योंकि मेडिकल जांच में मुझे पुरुष घोषित किया गया है, इस आधार पर मुझे नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता है."


माता-पिता गन्ना काटनेवाले मजदूर हैं
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया, याचिकाकर्ता समाज के कमजोर तबके से आती है. उसके माता-पिता गन्ना काटनेवाले मजदूर हैं, उसकी दो बहन और एक भाई है, घर की माली हालत अच्छी नहीं है याचिकाकर्ता घर में सबसे बड़ी है, उसे महिला वर्ग में पुलिस कांस्टेबल में भर्ती के लिए तय किए गए अंक से अधिक नंबर मिले हैं. सिर्फ याचिकाकर्ता को मेडिकल रिपोर्ट में लड़की की बजाय लड़का पाया गया है. इसलिए उसे नौकरी से वंचित किया गया है.


राज्य सहानुभूतिपूर्वक विचार करे
सुनवाई से पहले खंडपीठ ने युवता से अकेले अपने चेंबर में भी बात की. बातचीत के बाद कोर्ट ने पाया कि युवती ने जब परीक्षा दी थी, तो वह 12 वीं पास थी. अब वह अच्छे अंको से बीए पास हो चुकी है और अब एमए की पढ़ाई कर रही है. इसको देखते हुए कोर्ट ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को युवती के मामले को लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा. 


सारी प्रक्रिया को चार सप्ताह में पूरा करें
इस पर कुंभकोणी ने कहा कि याचिकाकर्ता को पुलिस महकमे में नॉन कांस्टेबलरी पद पर नौकरी की सिफारिश करने की दिशा में उचित कदम उठाए जाएंगे. गृहविभाग और विशेष पुलिस महानिरीक्षक को युवती को लेकर सिफारिश भेजी जाएगी. मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को याचिकाकार्ता की नौकरी से जुड़ी सारी प्रक्रिया को चार सप्ताह में पूरा करने को कहा है. 


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