Mumbai News: महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने बुधवार को कहा कि अगर सभी मराठों को कुनबी जाति के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाणपत्र मिल गया तो राज्य में मराठा समुदाय की कोई अलग पहचान नहीं रह जाएगी. कुनबी, कृषि से जुड़ा एक समुदाय है जिसे महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी में रखा गया है. कुनबी जाति के लोगों को ओबीसी श्रेणी के तहत शिक्षा और केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण मिलता है.
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में मराठा समुदाय के लोग अपने समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें भी आरक्षण का लाभ मिल सके. महाराष्ट्र सरकार ने उन मराठों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिनके पास निजाम शासनकाल के राजस्व या शिक्षा संबंधी दस्तावेज हैं. उनसे जब पूछा गया कि क्या मराठों को शामिल करने से ओबीसी आरक्षण पर असर पड़ेगा तो भुजबल ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, 'मुझे अब लगता है कि कुछ और करने की जरूरत नहीं है क्योंकि मराठा समुदाय के सभी सदस्य कुनबी प्रमाण पत्र ले रहे हैं और ओबीसी श्रेणी में शामिल हो रहे हैं. इसलिए महाराष्ट्र में कोई भी मराठा नहीं रह जाएगा क्योंकि वे सभी कुनबी बन रहे हैं. मुझे लगता है कि किसी अन्य समाधान की कोई आवश्यकता नहीं है.'
उच्चतम न्यायालय में इस मामले को लेकर दायर की गयी एक याचिका की सुनवाई पर, एक सवाल का जवाब देते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता ने कहा, 'मैं पहले ही कह चुका हूं कि चाहे आप सुधारात्मक याचिका दो या कोई और विधेयक लाओ, जब सभी कुनबी हो रहे हैं और ओबीसी श्रेणी में शामिल हो रहे हैं तो कौन शेष रहेगा?' महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र सात से 20 दिसंबर तक नागपुर में होगा. मराठा आरक्षण समेत कई प्रमुख मुद्दों पर सत्र के दौरान चर्चा होने की संभावना है.
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