Maharashtra News: सरकारी अधिकारियों द्वारा स्कूल के बाहर गैर-शिक्षण कार्यों को बढ़ाने पर सरकारी शिक्षकों के बीच व्यापक असंतोष के बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा कि विभाग को इस तरह के काम में शिक्षकों को शामिल नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य भर के चयनित शिक्षकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए कहा कि “मुझे शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्य सौंपे जाने के संबंध में कई शिकायतें और आवेदन प्राप्त हुए हैं. राष्ट्रीय महत्व के कार्य को छोड़कर, शिक्षकों को ऐसे अन्य कोई कार्य नहीं सौंपे जाएंगे. उसी के संबंध में निर्देश विभाग को दिए जाएंगे.”


शिक्षकों ने सीएम से की थी शिकायत


शिक्षकों पर गैर-शैक्षणिक कर्तव्यों के बढ़ते बोझ को लेकर शिक्षक प्रतिनिधि निकाय महीनों से जिले के साथ-साथ राज्य के अधिकारियों से भी गुहार लगा रहे हैं. कई शिक्षक संगठनों ने 'आम्हला शिकवु दीया' (आइए पढ़ाते हैं) शीर्षक से एक अभियान भी शुरू किया. महाराष्ट्र के नवनियुक्त स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने भी पिछले हफ्ते कहा था कि शिक्षकों को गैर-शैक्षिक कर्तव्यों के अधीन नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, "मैं विभाग के साथ बैठक करूंगा और हम इस संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करेंगे."


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बॉम्बे हाईकोर्ट की सरकार को फटकार


बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के स्कूलों में लड़कियों के लिए पर्याप्त स्वच्छ शौचालय और पीरियड स्वच्छता प्रबंधन सुनिश्चित नहीं करने के लिए महाराष्ट्र शिक्षा विभाग को फटकार लगाई. अदालत ने सरकार से सवाल किया कि क्या वह शक्तिहीन है या इस मुद्दे पर विस्तृत नीति तैयार करने के लिए किसी शुभ दिन की प्रतीक्षा कर रही है. न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वरले और न्यायमूर्ति शर्मिला यू देशमुख की खंडपीठ ने महाराष्ट्र राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (एमएसएलएसए) द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर गौर करने के बाद मौखिक टिप्पणियां कीं, जिसने अपने जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों (डीएसएलए) के माध्यम से यहां का औचक निरीक्षण किया था.


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