Maharashtra: 'जो लोग कल कह रहे थे आज...', सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद देवेंद्र फडणवीस की पहली प्रतिक्रिया
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र से आए सुप्रीम फैसले पर आज उद्धव और शिंदे गुट सहित देश की नजर थी. फैसला शिंदे गुट के पक्ष में आया है. अब देवेंद्र फडणवीस ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
Shiv Sena Row: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली है. महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार बनी हुई है. CJI ने अपने फैसले में कहा है, उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया है. बिना फ्लोर टेस्ट के उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दिया है. हम अयोग्यता पर फैसला नहीं लेंगे. अयोग्यता पर फैसला स्पीकर लें. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भी पहली प्रतिक्रिया सामने आई है.
देवेंद्र फडणवीस ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हैं. जो लोग कल तक कह रहे थे कि आज सरकार जाएगी, आज उनको जवाब मिल चूका है. उनकी सारी नीयत बदल चुकी है.
क्या बोले देवेंद्र फडणवीस?
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को महाराष्ट्र में पिछले साल के शिवसेना केंद्रित राजनीतिक संकट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर "पूर्ण संतोष" व्यक्त किया है. फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा, ''मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पूर्ण संतुष्टि व्यक्त करता हूं. बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ फैसले पर विस्तार से टिप्पणी करूंगा."
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को पिछले साल 30 जून को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए बुलाना उचित नहीं ठहराया था, लेकिन यह कहते हुए यथास्थिति का आदेश देने से इनकार कर दिया कि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और इस्तीफा दे दिया.
एकनाथ शिंदे गुट के विद्रोह के बाद ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के पतन के कारण हुए राजनीतिक संकट से संबंधित दलीलों के एक समूह पर एक सर्वसम्मत फैसले में, मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ भारत के डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना के व्हिप के रूप में नियुक्त करने का हाउस स्पीकर का फैसला "अवैध" था.
हालांकि, यह कहा गया कि चूंकि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया था, इसलिए सदन में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी के कहने पर शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना राज्यपाल के लिए उचित था.