Maharashtra Political Crisis: कौन हैं वो 9 बागी मंत्री जिनसे सीएम उद्धव ठाकरे ने छीना विभाग?
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र सरकार ने एकनाथ शिंदे गुट के 9 बागी विधायकों के पोर्टफोलियो में बदलाव कर दिया है. सीएमओ की तरफ से इस पर कहा गया है कि ऐसा इसलिए किया है, ताकि जनहित के काम बाधित न हों.
Maharashtra Political Crisis News: महाराष्ट्र में चल रहे सियासी बवाल के बीच महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बागी मंत्रियों से उनके पद छीन लिए हैं और दूसरे नेताओं को इनकी जिम्मेदारी दे दी है. मतलब साफ है कि जो मंत्री शिवसेना (Shiv Sena) से बगावत करके गुवाहाटी के होटल में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के साथ मिल गए हैं उन नौ बागी मंत्रियों के विभाग अन्य मंत्रियों को आवंटित कर दिए हैं. आधिकारिक बयान के अनुसार बागी मंत्रियों के विभाग अन्य मंत्रियों को इसलिए दिए जा रहे हैं ताकि प्रशासन चलाने में आसानी हो और जनहित काम बाधित न हों.
शिवसेना में अब चार कैबिनेट मंत्री हैं जिनमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आदित्य ठाकरे, अनिल परब और सुभाष देसाई शामिल हैं. आदित्य को छोड़कर शेष तीन विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) हैं. शिवसेना के अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में बगावत से पहले, पार्टी के 10 कैबिनेट मंत्री और चार राज्य मंत्री थे. सभी चार राज्य मंत्री असम के गुवाहाटी के होटल में डेरा डाले हुए हैं.
महराष्ट्र के जो मंत्री गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं उनमें शिंदे के अलावा गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे और संदीपन भुमरे हैं. इसलिए अब एकनाथ शिंदे के शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग (सार्वजनिक उपक्रम) को अब सुभाष देसाई को फिर से सौंपा गया है. इसके साथ ही उदय सामंत के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग को फिर से आदित्य ठाकरे और संदीपन आसाराम भुमारे के (रोजगार) गारंटी मंत्रालय शंकर यशवंतराव गडख को दिया गया है.
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इसके अलावा गुलाबराव पाटिल का जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग अनिल परब को जबकि दादाजी भूसे का कृषि विभाग संदीपनराव भुमरे को दिया गया है. वहीं बागवानी मंत्री शंकर यशवंतराव गडख को दी गई है. इसके अलावा राज्य के चार अन्य मंत्रियों शंभूराज देसाई, राजेंद्र पाटिल, अब्दुल सत्तार और ओमप्रकाश कडू के विभागों को अन्य मंत्रियों को फिर से आवंटित किया गया है. यह निर्देश बागी नेता एकनाथ शिंदे द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करने के बाद आया है जिसमें कहा गया है कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ने सदन में बहुमत खो दिया है क्योंकि शिवसेना विधायक दल के 38 सदस्यों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है.