Shiv Sena Party Symbol: किसका वैलेंटाइन...किसका ब्रेकअप? ठाकरे या शिंदे...शिवसेना किसकी? आज सुनवाई
Maharashtra: शिवसेना किसकी है? सत्ता संघर्ष पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी. उद्धव ठाकरे की मांग है कि इस मामले को सात-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाए. अब देखना होगा की इसे SC मानता है या नहीं?
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की राजनीति के लिए आज का दिन अहम है. महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी और क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले को 7 जजों की बेंच को रेफर करने की मांग को स्वीकार करेगा या इस मामले में कोई नया मोड़ आएगा? ये आज साफ हो जायेगा. इस केस का फैसला शेड्यूल आज लिए गए फैसले पर भी निर्भर करेगा. अगर मामला 7 जजों की बेंच के पास जाता है तो फैसले में और वक्त लगेगा. यदि वर्तमान संविधान पीठ के पास रहता है तो यह उत्सुकता होगी कि क्या लगातार सुनवाई तुरंत शुरू होगी.
कब सुप्रीम कोर्ट में गया मामला?
पहले दो जजों की वेकेशन बेंच, फिर तीन जजों की बेंच, फिर पांच जजों की संविधान पीठ और अब अगर कोर्ट ने अनुरोध मान लिया तो सात जजों की बेंच. सत्ता संघर्ष का यह मामला 20 जून 2022 को सुप्रीम कोर्ट में आया. आठ महीने बाद भी इस मामले में अभी तक कोई फैसला नहीं आया है, सिर्फ बेंच बदली गई है. तो अब इस मामले को लेकर उत्सुकता बनी हुई है कि आज क्या होगा.
ठाकरे गुट ने की ये मांग
मूल रूप से, ठाकरे समूह ने मांग की है कि इस मामले को सात-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाए. अब अंदाजा लगाया जा रहा है कि आखिर ठाकरे ने यह मांग क्यों की है. इन सभी मामलों में अहम मुद्दा यह है कि क्या पीठासीन अधिकारी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित होने पर उसे कार्रवाई करने का अधिकार है. 2016 में, पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने अरुणाचल प्रदेश में नबाम रेबिया मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था. इस फैसले में कहा गया था कि पीठासीन न्यायाधीश के पास अविश्वास प्रस्ताव के लंबित रहने के दौरान कार्रवाई करने की कोई शक्ति नहीं है. इस परिणाम के आधार पर शिंदे गुट कह रहा है कि उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल को अयोग्यता के संबंध में कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है.
कोर्ट में आज सुनवाई
लेकिन अरुणाचल और महाराष्ट्र के मामले में संदर्भ और आयाम अलग हैं. इसलिए, ठाकरे समूह मांग कर रहा है कि परिणाम का विश्लेषण किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आज के काम की लिस्ट में ये केस पहले नंबर पर है. इस संविधान पीठ में वर्तमान में तीन विषय थे. दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच विवाद मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है. इसलिए एनआरसी की बात बाद में रखी गई है. इसलिए इस संविधान पीठ की प्राथमिकता महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष का मुद्दा लगता है.