Maharashtra Political Crisis: शिवसेना कार्यकर्ताओं का अनोखा विरोध, बागी विधायकों का किया 'अंतिम संस्कार'
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में चल रहे सियासी बवाल के बीच पुणे में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने बागी विधायकों का प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार जुलूस निकाला.
Maharashtra Political Crisis News: महाराष्ट्र में चल रहा सियासी संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है और शिवसेना के बागी विधायकों के खिलाफ प्रदेश में कई जगह विरोध हो रहा है. इसी बीच आज सोमवार को पुणे के हडपसर इलाके के शिवसेना कार्यकर्ताओं ने एक प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार जुलूस निकाला और अमर धाम श्मशान में बागी पार्टी के विधायकों का अंतिम संस्कार किया. इससे पहले बागी विधायकों के कार्यालय के बाहर जमकर तोड़फोड़ की गई थी और आरोप शिवसेना के कार्यकर्ताओं पर लगा था. इसी को देखते हुए केंद्र सरकार की तरफ से शिवसेना के 15 बागी विधायकों को Y प्लस सुरक्षा दी गई है.
शिवसेना के बागी विधायकों को लेकर सीएम उद्धव ठाकरे ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है और 9 बागी मंत्रियों से उनके पद भी छीन लिए हैं. इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) समेत 16 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी किया था. इस नोटिस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष से कहा कि विधायकों की अयोग्यता पर 11 जुलाई तक फैसला नहीं लिया जाना चाहिए. इस आदेश के बाद शिवसेना के बागी विधायकों को काफी राहत मिली है और शिवसेना के बागी गुट का नेतृत्व कर रहे एकनाथ शिंदे इस फैसले पर कहा कि यह हिंदू हृदय सम्राट शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे के हिंदुत्व की जीत है.
Maharashtra | Shiv Sena workers from the Hadapsar area of Pune took out a symbolic funeral procession & performed the last rites of the rebel party MLAs at the Amar Dham crematorium. pic.twitter.com/tSiaKO3l6N
— ANI (@ANI) June 27, 2022
शिंदे गुट ने सीएम उद्धव ठाकरे से पहले ही साफ कह दिया है कि पहले वह महा विकास अघाड़ी गठबंधन से बाहर निकले तब आगे की बात होगी. वहीं एकनाथ शिंदे ने ट्वीट कर लिखा- बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना उन लोगों का समर्थन कैसे कर सकती है जिनका मुंबई बम विस्फोट के दोषियों, दाऊद इब्राहिम और मुंबई के निर्दोष लोगों की जान लेने के लिए जिम्मेदार लोगों से सीधा संबंध था. इसलिए हमने ऐसा कदम उठाया, मरना ही बेहतर है. अगर हिंदुत्व की विचारधारा का पालन करने के लिए हमें मरना भी पड़े, तो हम इसे अपनी नियति मानेंगे.