Maharashtra Politics: शिंदे सरकार पर फैसला कल, सुनवाई के आखिरी दिन SC को इस बात पर हुआ था आश्चर्य
Maharashtra Political Crisis: 16 मार्च 2023 को याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. गुरुवार को पांच जजों की बेंच अपना फैसला सुनाएगी. इस पर सबकी नजरें होंगी.
Maharashtra Politics: सुप्रीम कोर्ट 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे धड़े की दोतरफा याचिकाओं पर गुरुवार (11 मई) को फैसला सुनाएगा. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ महाराष्ट्र के उस राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी, जिसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार गिर गयी थी.
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ इस मामले में फैसला सुनाएंगे. संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल हैं. संविधान पीठ ने 16 मार्च, 2023 को संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में अंतिम सुनवाई 21 फरवरी को शुरू हुई थी और नौ दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के अंतिम दिन आश्चर्य व्यक्त किया था कि वह उद्धव ठाकरे की सरकार को कैसे बहाल कर सकती है, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सदन में बहुमत परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था.
ठाकरे गुट ने सुनवाई के दौरान न्यायालय से आग्रह किया था कि वह 2016 के अपने उसी फैसले की तरह उनकी सरकार बहाल कर दे, जैसे उसने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सरकार बहाल की थी.
ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी एवं देवदत्त कामत और अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष पक्ष रखा था, जबकि एकनाथ शिंदे गुट का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल, हरीश साल्वे एवं महेश जेठमलानी और अधिवक्ता अभिकल्प प्रताप सिंह ने किया.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता राज्य के राज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश हुए. गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं को सात-सदस्यीय संविधान पीठ के सुपुर्द करने का आग्रह ठुकरा दिया था.