Maharashtra Politics: रायगढ़, नासिक संरक्षक मंत्री पद से अजित पवार गुट आक्रामक, अदिति तटकरे, छगन भुजबल के नाराज होने की चर्चा
Ajit Pawar faction: महाराष्ट्र में कई मुद्दों पर अजित पवार गुट में नाराजगी की खबर सामने आई है. वहीं बीजेपी के मंत्रियों में भी कुछ हद तक नाराजगी देखी जा सकती है. जानिए इसके पीछे की क्या वजह है.
Guardian Minister Post: महाराष्ट्र की राजनीति में अक्सर अजित पवार की नाराजगी की खबर सामने आती रहती है. उपमुख्यमंत्री अजित पवार को भले ही पुणे के संरक्षक मंत्री का पद मिल गया है, लेकिन अन्य मुद्दों पर अजित पवार गुट में नाराजगी है. महागठबंधन सरकार में एनसीपी के मंत्रियों को दरकिनार किये जाने से नाराजगी का माहौल है. बीजेपी के मंत्रियों को लगता है कि एनसीपी के लिए सबसे बड़ी कुर्बानी बीजेपी को देनी होगी.
किन घटनाओं से अजित पवार गुट परेशान?
मंत्रियों को सरकार में दरकिनार किए जाने का अहसास- राज्य में महागठबंधन सरकार में राष्ट्रवादी अजित पवार का गुट शामिल था. लेकिन निर्णय लेने की प्रक्रिया में केवल शिवसेना और बीजेपी के मंत्री ही नजर आ सकते हैं. इन मंत्रियों को लगता है कि एनसीपी के मंत्रियों को नीचा दिखाया जा रहा है.
लोकसभा समीक्षा बैठक से एनसीपी दूर- रविवार को मुंबई के गरवारे क्लब में लोकसभा समीक्षा बैठक हुई. लेकिन इस बैठक में सिर्फ बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट के नेता ही मौजूद थे. अजित पवार गुट को इस संबंध में कोई भी जानकारी देने से दूर रखा गया.
अजित पवार को पुणे में संरक्षक मंत्री का पद दिया गया. हालांकि, अजित पवार गुट के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने अदिति तटकरे से रायगढ़ या रत्नागिरी के संरक्षक मंत्री पद के लिए कहा था, लेकिन बिना दिए ही उदय सामंत को दो अभिभावक मंत्री का पद दे दिया गया. छगन भुजबल अजित पवार के गुट के वरिष्ठ मंत्री हैं, उन्होंने नासिक के संरक्षक मंत्री का पद मांगा था, लेकिन उन्हें न देकर शिंदे गुट के दादाजी भुसे के पास रखा गया है. पालक मंत्री का पद देते समय बीजेपी ने त्याग किया और अपने हिस्से का पालक मंत्री का पद दे दिया. लेकिन अभिभावक मंत्री का अहम पद शिंदे गुट ने अपने पास बरकरार रखा है.
अजित पवार गुट की अहम फाइलें मुख्यमंत्री कार्यालय में अटकी हैं- सूत्रों से जानकारी मिली है कि अजित पवार गुट के मंत्रियों द्वारा लिए गए फैसलों की कुछ फाइलें मुख्यमंत्री कार्यालय में अटकी हुई हैं. इससे एनसीपी के मंत्री नाराज हैं.
आवास आवंटन पर असंतोष- कैबिनेट में एनसीपी के वरिष्ठ और अनुभवी मंत्री होते हुए भी उन्हें आवंटित आवास ही नये मंत्रियों को आवंटित किये गये हैं. मुख्यमंत्री के चार आवास होने से नाराजगी है. चर्चा है कि इसी नाराजगी के चलते अजित पवार कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए. वहीं, चर्चा यह भी है कि जब मराठा आरक्षण जैसे गंभीर मुद्दे थे, तब अजित पवार इसमें ज्यादा सक्रिय नहीं थे. इसलिए मुख्यमंत्री को इन सब चीजों का सामना करना पड़ा. चूंकि अजित पवार गुट में नाराजगी है. इसी तरह बीजेपी के मंत्रियों में भी कुछ हद तक नाराजगी देखी जा सकती है.
क्योंकि बीजेपी एनसीपी के लिए सबसे ज्यादा त्याग करती नजर आ रही है. अजित पवार गुट के संरक्षक मंत्री का पद चंद्रकांत पाटिल और सुधीर मुनगंटीवार को छोड़ना पड़ा. इसके उलट शिंदे गुट अपने रुख पर कायम नजर आ रहा है. बीजेपी की ये नाराजगी मोहित कंबोज के ट्वीट और विधायक गोपीचंद पडलकर के भाषण से देखने को मिली.
शिंदे गुट के मंत्रियों ने कई बार अजित पवार पर महाविकास अघाड़ी सरकार में अड़ंगा लगाने का आरोप लगाया था. लेकिन अब अजित पवार गुट के मंत्री आरोप लगा रहे हैं कि निजी बातचीत में मुख्यमंत्री की ओर से हस्तक्षेप किया जाता है. इसलिए शिंदे और पवार गुट को महागठबंधन सरकार में एक साथ लाना बीजेपी के लिए बड़ी कवायद होगी.