Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में बयानों की राजनीति एक बार फिर तेज हो गई है. एक ओर जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के मुखिया ने गौतम अडाणी के मामले में सुप्रीम कोर्ट की कमेटी पर भरोसा जताते हुए संसदीय कमेटी की मांग को खारिज कर दिया है तो वहीं उनके भतीजे अजित पवार ने ईवीएम के मुद्दे पर विपक्ष को आंख दिखाई. माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में चाचा और भतीजे की जोड़ी एक बार फिर कोई नया राजनीतिक गुल खिला सकती है. दोनों के बयान के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की प्रतिक्रिया इस पूरे घटनाक्रम को और दिलचस्प बना रही है.


बीते दिनों एक कार्यक्रम में सीएम शिंदे ने राष्ट्रीय विपक्ष को सलाह दी कि वह 'पवार पर ध्यान दें.' दूसरी ओर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) ने शरद पवार के बयान को लगभग नजरअंदाज किया और कहा कि इससे राज्य में शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन यानी महाविकास अघाड़ी पर फर्क नहीं पड़ेगा और न ही यह राजनीतिक गठबंधन टूटेगा.


अडाणी मामले पर कांग्रेस से अलग राह पर पवार
अडाणी के मामले पर जेपीसी की मांग कर रहे विपक्ष को लेकर सीएम शिंदे ने कहा- कांग्रेस ने अडानी समूह के 20,000 करोड़ रुपये के स्पष्टीकरण की मांग करते हुए आंदोलन शुरू किया . यहां तक कि (पूर्व सीएम) उद्धव ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर बार-बार बात की है. अब, शरद पवार ने टिप्पणी की है. इसलिए जो लोग (अडाणी के खिलाफ) विरोध कर रहे हैं, उन्हें उनकी टिप्पणियों पर ध्यान देना चाहिए.


अडाणी मामले पर शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल से जांच कराने की मांग की थी. उन्होंने अडाणी समूह द्वारा कथित स्टॉक हेरफेर मुद्दे की जांच के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया द्वारा नियुक्त सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित 6 सदस्यीय समिति का पक्ष लेते हुए कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष द्वारा मांग की गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से अधिक प्रभावी होगी.


सीनियर ही नहीं जूनियर पवार भी दिखा रहे आंख
इसके अलावा शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने आम आदमी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिग्री के मुद्दे पर भी सभी दलों से अलग राय रखी. उन्होंने कहा था कि विपक्ष को पीएम की डिग्री नहीं बल्कि इस पर बात करनी चाहिए कि सरकार ने रहते हुए उन्होंने बीते 8 साल में क्या क्या किया. ईवीएम के मुद्दे पर विधानसभा में अजित पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा में कहा, मुझे नहीं लगता कि हमारे देश में इतने बड़े पैमाने पर ईवीएम में हेराफेरी संभव है. पवार ने प्रधानमंत्री का जिक्र करते हुए कहा कि 2014 में चुनाव जीतने के बाद मोदी को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. हालांकि, यह तथ्य है कि वह जनता के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए और भाजपा ने उनकी वजह से कई राज्यों में चुनाव जीते.


इसी मुद्दे पर अजित पवार ने कहा- पीएम के नेतृत्व में भाजपा ने 2019 के चुनावों में 2014 के कारनामे को दोहराया. अजित पवार ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि 9 साल सत्ता में रहने के बाद प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाने का क्या मतलब है जब देश के सामने बेरोजगारी, महंगाई, किसानों के मुद्दे आदि जैसे बड़े मुद्दे हैं.


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अगले साल चुनाव से पहले अहम ये बयान?
पूर्व मंत्री ने कहा-यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि लोग उनके काम को देखते हैं. राजनीति में शिक्षा को बहुत महत्वपूर्ण मानदंड नहीं माना जाता है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कैसे महाराष्ट्र में भी वसंतदादा पाटिल जैसे पूर्व मुख्यमंत्री उच्च शिक्षित नहीं थे, लेकिन उनके पास उत्कृष्ट प्रशासनिक कौशल था और इसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है.


दीगर है कि साल 2019 में अजित पवार ने चाचा शरद पवार से अलग लाइन लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी और खुद भी डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. हालांकि कुछ दिनों बाद वह वापस एनसीपी में आ गए थे. अगले साल आम चुनाव और फिर उसके बाद विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चाचा और भतीजे की जोड़ी की ये टिप्पणियां काफी अहम मानी जा रही हैं.  इतना ही नहीं आसार इस बात के भी जताए जा रहे हैं कि एनसीपी नेता , भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA का दामन थाम सकते हैं.