Maharashtra: महाराष्ट्र में शिंदे गुट में नेताओं के बीच खींचतान, मंत्री पद नहीं मिलने से संजय शिरसाट नाराज
Maharashtra News: एकनाथ शिंदे और फडणवीस सरकार को सत्ता में आए अभी एक साल भी नहीं हुआ है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर शिंदे गुट में नेताओं के बीच खींचतान शुरू हो गई है. जानिए क्या है मामला.
Maharashtra Politics News: कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा कि उनके ही गुट का एक नेता विपक्ष को सबूत दे रहा है. हालांकि अब्दुल सत्तार यह नहीं बताते कि नेता कौन है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक उनकी उंगली संजय शिरसाट की तरफ है. लिहाजा राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि क्या शिंदे गुट में कोई आंतरिक विवाद शुरू हो गया है.
कैबिनेट आवंटन के दौरान टीईटी घोटाला सामने आया. सुप्रिया सुले को लेकर दिए अपने बयान पर माफी मांगने के बाद भी मामला तूल पकड़ता जा रहा है. कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार का कहना है कि इन सबके पीछे उनकी ही पार्टी के एक नेता का हाथ है. सत्तार के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में शिंदे गुट में हलचल मच गई है. इतना ही नहीं अब्दुल सत्तार का कहना है कि 'नेता जी' को लगता है कि मेरे मंत्री पद से जाने के बाद उन्हें मंत्री पद मिलेगा. सत्तार के इस बयान से साफ है कि शिंदे गुट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सत्तार को कृषि महोत्सव के दौरान मामले को आगे नहीं बढ़ाने की सलाह दी. मालूम हो कि किसी का नाम नहीं लेने का निर्देश भी दिया गया है. शिंदे समूह इस बात का पूरा ख्याल रख रहा है कि यह मामला आगे न बढ़े.
संजय शिरसाट और अब्दुल सत्तार के बीच क्या विवाद है?
संजय शिरसाट ने एलान किया था कि शिंदे-फडणवीस सरकार आने पर वे मंत्री थे. इतना ही नहीं वह कई लोगों से यह भी कह रहे थे कि वह संरक्षक मंत्री और सामाजिक न्याय मंत्री बनेंगे. उनकी राय थी कि उनका नाम मंत्री सूची में था लेकिन सत्तार की वजह से इसे रातोंरात काट दिया गया. दरअसल औरंगाबाद से पांच विधायक शिंदे गुट में गए थे. इनमें मंत्री संदीपन भुमरे और अब्दुल सत्तार भी शामिल थे.
अतः मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए एक नगर से तीन मंत्रियों की संख्या की आवश्यकता होगी और वह भी मंत्रिमंडल के रूप में संभव नहीं था. इधर उन्होंने यह भी कहा कि टीईटी का घोटाला उनके ही एक नेता ने पिछले दिनों रचा था ताकि उन्हें मंत्री पद से हटाया जा सके. उन्होंने साफ कहा कि वह मंत्री बनना चाहते हैं और उनके ही नेता इसके लिए साजिश रच रहे हैं. लिहाजा सामने आ रहा है कि दोनों नेता मंत्री पद के लिए एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में उतर गए हैं.
शिंदे और फडणवीस सरकार को सत्ता में आए अभी एक साल भी नहीं हुआ है कि शिंदे गुट में राजनीतिक महत्वाकांक्षा को लेकर दोनों नेताओं के बीच खींचतान शुरू हो गई है. इसलिए सत्तार के इस बयान से साफ है कि मंत्री पद के लिए शिंदे गुट के नेताओं ने एक दूसरे के पंख कतरने शुरू कर दिए हैं. अब देखना यह होगा कि यह विवाद किस हद तक पहुंचता है और क्या एकनाथ शिंदे इसे सुलझाने में सफल होते हैं.