Maharashtra Politics: NCP छोड़ने वालों के खिलाफ क्या है शरद पवार की रणनीति? संजय राउत ने किया खुलासा, बोले- BJP के साथ...
अजित पवार और NCP के आठ विधायक दो जुलाई को महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे शरद पवार द्वारा स्थापित पार्टी में विभाजन हो गया था.
Maharashtra Politics: शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार अपनी पार्टी छोड़ने वालों से लड़ने के लिए छापामार युद्ध रणनीति का उपयोग कर रहे हैं.
राउत ने पत्रकारों से यह भी कहा कि उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ युद्ध के मैदान में युद्ध लड़ रही है. उन्होंने कहा, ‘‘शरद पवार और उनके सहयोगियों ने पार्टी छोड़ने वालों से लड़ने के लिए छापामार युद्ध रणनीति का चयन किया है.’’
अजित पवार और NCP के आठ विधायक दो जुलाई को महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे शरद पवार द्वारा स्थापित पार्टी में विभाजन हो गया था.
इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल
NCP में कोई फूट नहीं होने और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार पार्टी के नेता होने का दावा करने के कुछ घंटे बाद शरद पवार ने शुक्रवार को दावा किया था कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई थी.
राउत ने कहा, 'शरद पवार कभी भी BJP के साथ नहीं जाएंगे. वह महा विकास आघाड़ी और ‘इंडिया’ गठबंधन के एक महत्वपूर्ण नेता हैं.’’ राउत के अनुसार इसका मतलब यह नहीं है कि वह दो नावों की सवारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शरद पवार के बारे में किसी को कोई भ्रम नहीं है. राउत ने यह भी कहा कि इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि शिवसेना और NCP दोनों को विभाजन का सामना करना पड़ा है.
क्या कहा था शरद पवार ने?
शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने एक दिन पहले ही अजित पवार को पार्टी का वरिष्ठ नेता और विधायक बताया था. बारामती से लोकसभा सदस्य सुले ने कहा, था ‘अब, उन्होंने एक ऐसा रुख अपनाया है जो पार्टी के खिलाफ है और हमने विधानसभा अध्यक्ष को शिकायत दी है और उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं.’
NCP में कोई फूट नहीं होने के, सुले के बयान के बारे में पूछने पर शरद पवार ने बारामती में कहा था, ‘‘इसमें इसमें कोई संदेह नहीं है.’’ उन्होंने सवाल किया कि कोई कैसे कह सकता है कि NCP में फूट है.
NCP प्रमुख ने कहा था, ‘‘किसी राजनीतिक दल में फूट का मतलब क्या है? फूट तब होती है जब किसी पार्टी का एक बड़ा समूह राष्ट्रीय स्तर पर अलग हो जाता है, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ है. कुछ लोगों ने पार्टी छोड़ दी, कुछ ने अलग रुख अपना लिया... लोकतंत्र में निर्णय लेना उनका अधिकार है.’’