Maharashtra Politics News: शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को पूछा कि क्या 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा और एनसीपी का गठजोड़ एक "स्वाभाविक गठबंधन" था. राउत की टिप्पणी शिवसेना के कुछ बागी विधायकों के बयान के बाद आई है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस के साथ पार्टी का गठबंधन (2019 में तीन दिनों में भाजपा-एनसीपी सरकार गिरने के बाद) एक "अप्राकृतिक" गठबंधन था और शिवसेना को चोट पहुंचाई.


2019 में विधानसभा चुनावों के बाद, शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर लंबे समय से सहयोगी भाजपा से नाता तोड़ लिया. एनसीपी नेता अजीत पवार ने बाद में सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिलाया. बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने तब मुख्यमंत्री के रूप में और पवार को डिप्टी के रूप में राजभवन में एक छोटे से समारोह में शपथ दिलाई गई थी. लेकिन, पवार तीन दिन बाद अपनी पार्टी में लौट आए और फडणवीस सरकार गिर गई.


2019 के समय को याद करा राउत ने ली चुटकी


शिवसेना ने तब राज्य में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में अपने साप्ताहिक कॉलम रोकठोक में राउत ने कहा कि अब (मुख्यमंत्री) एकनाथ शिंदे की तरह, अजीत पवार ने 2019 में बगावत की थी और फडणवीस के साथ सरकार बनाई थी. उन्होंने कहा कि भाजपा विधायकों ने तब यह नहीं कहा था कि एनसीपी उनकी पार्टी खत्म कर देगी. राउत ने कहा, "अगर भाजपा-एनसीपी गठबंधन जारी रहता, तो क्या इसे अप्राकृतिक गठबंधन कहा जाता? राजनीति में कुछ भी प्राकृतिक या अप्राकृतिक नहीं होता." राज्यसभा सदस्य ने आगे कहा कि 2014 में, जब सरकार गठन में देरी हुई थी, तब एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने भाजपा को अपनी पार्टी के समर्थन की घोषणा की थी.


उन्होंने कहा, "शरद पवार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे समीकरण हैं. भाजपा ने तब एनसीपी के समर्थन को अस्वीकार नहीं किया था." दीपक केसरकर और उदय सामंत जैसे बागी विधायक, जो हिंदुत्व के मुद्दे पर शिंदे खेमे में चले गए हैं, पवार के स्कूल से "सर्टिफिकेट" लेकर शिवसेना में शामिल हुए थे, राउत ने चुटकी ली. केसरकर और सामंत उनके पहले एनसीपी में थे, शिवसेना में शामिल हो गए.


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राउत ने केंद्र सरकार पर बोला बड़ा हमला


राउत ने दावा कहा कि, "उन्हें एनसीपी से इतनी नफरत क्यों करनी चाहिए? राजनीति में नैतिकता के मुद्दे से ज्यादा यह राजनीतिक स्वार्थ है." उन्होंने आरोप लगाया, "शिवसेना में फूट पैदा हो गई क्योंकि दिल्ली को एहसास हुआ कि उद्धव ठाकरे भविष्य में एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उभर सकते हैं." बता दें कि शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों के विद्रोह के बाद, पिछले महीने महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार गिर गई. 30 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राउत ने दावा किया कि भाजपा में चर्चा है कि शिंदे सरकार में फडणवीस को डिप्टी सीएम बनने के लिए मजबूर किया गया ताकि वह राष्ट्रीय स्तर पर न उठें.


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