Shinde Cabinet Nod To CBI: राज्य सरकार महाराष्ट्र में आपराधिक मामलों की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दी गई 'सामान्य सहमति' (General Consent) को रद्द करने के पूर्ववर्ती महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) शासन के फैसले को वापस ले लेगी. गृह विभाग ऐसे एक प्रस्ताव पर काम कर रहा है, जिसे जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा. एमवीए ने अक्टूबर 2020 में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति को वापस ले लिया था. यह कदम उन आरोपों के मद्देनजर आया था जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसियों को केंद्र सरकार द्वारा विपक्ष के लिए हथियार बनाकर इस्तेमाल करने की बात कही गई थी.
इन राज्यों ने भी सीबीई को नहीं दी है सामान्य सहमति
महाराष्ट्र के अलावा, आठ गैर-भाजपा शासित राज्यों- पंजाब, पश्चिम बंगाल, झारखंड, केरल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और मेघालय ने 2015 से सीबीआई को दी गई इस सामान्य सहमति को वापस ले लिया है. इस वापसी का मतलब था कि केंद्रीय जांच एजेंसी को राज्य में किसी भी मामले की जांच के लिए या तो राज्य सरकार से विशिष्ट अनुमति लेनी होगी या अदालतों का दरवाजा खटखटाना होगा.
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राज्यसभा में कही गई ये बात
मार्च में, राज्यसभा को सूचित किया गया था कि सीबीआई महाराष्ट्र सरकार की सहमति के कारण 20,000 करोड़ से अधिक की बैंकिंग धोखाधड़ी के 101 मामलों में जांच शुरू करने में असमर्थ थी. राज्य सरकार के सूत्रों ने कहा, "यह (सामान्य अनुमति के अनुदान को बहाल करना) सरकार की लिस्ट में है और इसे जल्द ही उपयुक्त प्राधिकरण (राज्य कैबिनेट) के सामने लाया जाएगा."
पिछली सरकार के सामने लंबित से इतने मामले
अधिकारी ने कहा कि सीबीआई द्वारा बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र में धोखाधड़ी से संबंधित मामलों की जांच के लिए मंजूरी मांगने के कई अनुरोध राज्य सरकार के समक्ष लंबित हैं. बकौल हिन्दुस्तान टाइम्स, जुलाई में राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों में कहा गया है कि सीबीआई द्वारा सरकारी अधिकारियों की जांच के लिए 91 अनुरोध एमवीए सरकार के पास पिछले छह महीनों में लंबित थे. सीबीआई द्वारा जांच के लिए सहमति मांगने वाले 221 अनुरोध छह राज्यों के पास लंबित थे, जिनमें से सबसे अधिक (168) महाराष्ट्र में 29,000 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी.