Pune: 'गोविंदाओं' को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का मुद्दा गरमाया, फैसले के खिलाफ NCP ने किया प्रदर्शन
Pune News: एनसीपी ने कहा यह फैसला उन युवाओं के साथ धोखा है जो सरकारी नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. उन्होंने कहा कि दही हांडी का आयोजन तो वैसे भी बड़े शहरों में ही होता है.
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Pune News: महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) की दही हांडी ( Dahi Handi) के प्रतिभागियों को सरकारी नौकरियों (Government Jobs) में आरक्षण की घोषणा के बाद सूबे में राजनीति गरमा गई है. शिंदे सरकार का यह फैसला विपक्षी दलों को कतई रास नहीं आ रहा है. एनसीपी (NCP) की पुणे इकाई ने सोमवार को सरकार के इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. बता दें कि पिछले हफ्ते विधानसभा में बोलते हुए सीएम शिंदे ने घोषणा की थी कि दही हांडी को अब एक साहसिक खेल माना जाएगा और इसमें भाग लेने वाले लोग 5% स्पोर्ट्स कोटे के तहत सरकारी नौकरियों के लिए पात्र होंगे. एनसीपी के प्रदर्शनकारियों ने सरकार के इस फैसले को प्रतियोगी परीक्षाओं में पास होने की तैयारी कर रहे सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के साथ धोखा बताया.
सरकार के इस फैसले के खिलाफ एफ सी रोड पर बड़ी संख्या में एनसीपी की महिला और पुरुष कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे भी कंचे और गिल्ली डंडा खेला करते थे, उम्मीद है सरकार के इस फैसले से उन्हें भी सरकारी नौकरी मिलेगी. एनसीपी नेता प्रशांत जगताप ने कहा कि सरकार ने दही हांडी के प्रतिभागियों के लिए नौकरियों में आरक्षण घोषित किया है. राज्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने बयान दिया कि नागरिकों की मांग पर गिल्ली डंडा, मंगला गौर जैसे खेल खेलने वालों के लिए भी आरक्षण की घोषणा की जाएगी. प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वालों के साथ ये अन्याय है.
जगताप ने कहा कि युवा प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से सरकारी नौकरियों की तैयारी करते हैं. निकाय चुनाव से पहले इस तरह की घोषणा कर जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है. वहीं एनसीपी की नगर इकाई के प्रवक्ता प्रदीप देशमुख ने कहा कि राज्य सरकार राजनीतिक घोषणाएं कर रही है, सरकार पहले यह बताए कि वे सरकारी नौकरियों में किसी विशेष पद के लिए दही हांडी के प्रतिभागियों के लिए पात्रता कैसे तय करेंगे जिसके लिए बुनियादी योग्यता की आवश्यकता होती है. उन्होंने आगे कहा कि दही हांडी का आयोजन मुंबई, थाणे, पुणे जैसे बड़े शहरों में होता है, इसलिए यह राज्य के ग्रामीण इलाको में रह रहे युवाओं के साथ धोखा है.
वहीं एनसीपी नेता अजित पवार ने शनिवार को शिंदे सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि गोविंदाओं को वित्तीय सहायता देना समझ में आता है, लेकिन खेल कोटे के तहत उन्हें सरकारी नौकरी देने के क्या मापदंड हैं? उन्होंने आगे कहा कि इसमें शैक्षिक योग्यता के क्या मापदंड होंगे, उनके ट्रैक रिकॉर्ड का क्या होगा. पवार ने कहा कि यह फैसला लेने से पहले खेल विभाग से भी सलाह नहीं ली गई. सरकारें एक व्यक्ति की मर्जी और इच्छा पर निर्णय नहीं ले सकती हैं. हालांकि इस दौरान पवार किसी का नाम लेने से बचते दिखे.
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