Mumbai: राज्यसभा चुनाव से पहले विधायकों की खरीद-फरोख्त का डर, शिवसेना ने लिया ये फैसला
महाराष्ट्र में 10 जून को राज्यसभा चुनाव होना है. ऐसे में चुनाव से पहले खरीद-फरोख्त की आशंका को देखते हुए शिवसेना अलर्ट हो गई है और पार्टी ने अपने विधायकों को मुंबई बुलाने का फैसला लिया है.
मुंबई: शिवसेना ने 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले खरीद-फरोख्त की किसी भी आशंका से बचने के लिये अपने विधायकों को मुंबई बुलाने और उन्हें एक होटल में ठहराने का निर्णय लिया है. पार्टी सूत्रों ने शुक्रवार शाम यह जानकारी दी. गौरतलब है कि महाराष्ट्र की छह राज्यसभा सीटों के लिये सात उम्मीदवार मैदान में हैं. शुक्रवार को नामांकन वापस लेने का अंतिम दिन था, लेकिन किसी भी उम्मीदवार ने नाम वापस नहीं लिया. इसी के साथ राज्यसभा चुनाव का मुकाबला दिलचस्प हो गया है.वहीं शिवसेना के नेता अनिल देसाई ने ज्यादा जानकारी नहीं देते हुए बस इतना कहा, 'यह (चुनाव से पहले विधायकों को बुलाना) सामान्य प्रथा है.'
किस पार्टी से कौन है उम्मीदवार
बता दें कि 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की महाविकास अघाडी के चार उम्मीदवार मैदान में हैं वहीं बीजेपी ने तीन उम्मदीवारों को मैदन में उतारा है. गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तीन उम्मीदवारों में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अनिल बोंडे और धनंजय महाडीक शामिल हैं. जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने प्रफुल्ल पटेल को उम्मीदवार बनाया है. वहीं शिवसेना की ओर से संजय राउत और संजय पवार उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने इमरान प्रतापगढ़ी को टिकट दिया है.
क्या है राज्य सभा चुनाव का गणित?
महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए करीब 42 वोटों की जरूरत है. बीजेपी के पास 106 विधायक हैं, 7 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है यानी कुल 113 विधायक हैं जिसमें से दो सीटों पर जीत हासिल करने के लिए 84 वोट की जरूरत है. इसके बाद 29 वोट बीजेपी के पास ज्यादा है. हालांकि जीत के 42 वोट में से 13 कम हैं. बीजेपी की रणनीति छोटे दल और पहली पसंद के उम्मीदवार पर टिकी है.वहीं सरकार को समर्थन दे रहे, लेकिन सरकार से नाराज रहने वाले बहुजन विकास अघाड़ी, समाजवादी पार्टी और कुछ सरकार समर्थित विधायकों का साथ मिलने के उम्मीद है. हालांकि महा विकास आघाडी सरकार की अगर बात करें तो संख्या के हिसाब से 41 वोट होने का दावा किया जा रहा है. जीत से केवल एक वोट कम. लेकिन राज्य सभा चुनाव में प्राथमिकता वोट आधार पर चुनाव होता है. अगर प्राथमिक वोट कोटे से ज्यादा जाता है तो शिवसेना के दूसरी सीट के उमीदवार की जीत की संभावना कम हो सकती है.
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