Dattatreya Hosabale Statement: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी दत्तात्रेय होसबले ने जयपुर में एक कार्यक्रम में बयान दिया था कि, 'अगर किसी को बीफ खाने के लिए मजबूर भी किया जाता है तो उसके लिए संघ के दरवाजे बंद नहीं हैं. वे आज भी घर लौट सकते हैं.' शिवसेना ने दत्तात्रेय होसबले के बयान के आधार पर बीजेपी की आलोचना की है. उन्होंने पूछा, 'अगर गौमांस खाने वालों के लिए संघ के दरवाजे खुले हैं तो देश में गौमांस खाने वालों का कत्लेआम क्यों? यानी संघ ने गायों को कत्लखाने में ले जाने की अनुमति दी. इसका जवाब देश को मिलना चाहिए. ऐसा सवाल शिवसेना के ठाकरे गुट के मुखपत्र 'सामना' से पूछा गया है. 


गोमांस के लिए लोगों की हत्या क्यों?
लोकसत्ता में छपी एक खबर में मुताबिक, संघ सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने 15 दिन पहले जयपुर में सनसनीखेज बयान दिया था. उन्होंने कहा, ''बीफ खाने वालों के लिए भी संघ के दरवाजे खुले हैं. अगर गोमांस खाने वालों के लिए संघ के दरवाजे खुले हैं, तो गोमांस के लिए लोगों को क्यों मारा जा रहा है?” ऐसा सवाल शिवसेना ने पूछा है.


धर्म और भावनात्मक मुद्दों में उलझा देश
उन्होंने कहा, 'कुछ राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव होंगे. शिवसेना ने यह भी कहा है कि चूंकि मोदी सरकार के पास लोगों से वोट मांगने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए देश फिर से धर्म और भावनात्मक मुद्दों में उलझा हुआ है.


सावरकर को लेकर क्या कहा गया?
“राम मंदिर और गाय की राजनीति केवल हिंदू वोटों के लिए शुरू हुई है. गाय निश्चय ही हमारी संस्कृति और धर्म की प्रतीक है. सावरकर कट्टर हिंदुत्ववादी थे, लेकिन गायों पर सावरकर के विचार वैज्ञानिक थे. क्या सावरकर बीजेपी और संघ परिवार को स्वीकार्य है?


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