Maharashtra Sadan Scam News: महाराष्ट्र सदन घोटाला मामले में एक नया मोड़ आ गया है. अब यह बात सामने आई है कि महाराष्ट्र सदन घोटाला मामले में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल की मुश्किलें बढ़ सकती है. कोर्ट इस मामले में दायर केस के 3 आरोपियों की माफीनामे का गवाह बनने की अर्जी पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई है. बॉम्बे सेशन कोर्ट की विशेष अदालत ने मामले में आरोपियों की याचिका स्वीकार कर ली है. 


कौन हैं वो तीन आरोपी?
ABP माझा के अनुसार, महाराष्ट्र सदन घोटाला मामले में तीन आरोपी सुनील नाइक, सुधीर सालस्कर और अमित बलराज गिरफ्तार हैं. इन तीनों आरोपियों ने माफी गवाह बनने की अर्जी दाखिल की है. इस मामले में मुख्य आरोपी छगन भुजबल और अन्य ने बरी करने की अर्जी दाखिल की है. हालांकि, इन तीनों की इस सुनवाई को रोकने और पहले हमारे माफीनामे के गवाह बनने की अर्जी पर फैसला लेने का अनुरोध कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.


बॉम्बे सेशन कोर्ट की स्पेशल कोर्ट के जज राहुल रोकड़े के सामने तीनों आरोपियों ने माफीनामा देने की अर्जी दाखिल की थी. आरोपी सुनील नाइक, सुधीर सालस्कर और अमित बलराज ने गवाही माफी के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था. इस अर्जी पर ईडी को 20 दिसंबर की सुनवाई में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया था. इस मामले में वर्तमान मंत्री छगन भुजबल मुख्य आरोपी हैं. 


क्या है महाराष्ट्र सदन घोटाला मामला?
मुंबई के अंधेरी में 'आरटीओ' भूमि पर झुग्गी पुनर्वास की अनुमति देते हुए, राज्य सरकार ने दिल्ली में महाराष्ट्र सदन भवन के पुनर्निर्माण के साथ-साथ मुंबई के मालाबार हिल में एक विश्राम गृह के निर्माण के लिए संबंधित कंपनी को एक अनुबंध दिया. इस कार्य के लिए कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं की गई. समय के साथ संबंधित कंपनी ने एक अन्य विकास कंपनी के साथ समझौता किया और विकास अधिकार बेच दिए. पहले डेवलपर को 80 प्रतिशत लाभ मिला, जबकि ठेकेदार प्रतिष्ठान को राज्य सरकार के मानदंडों के अनुसार 20 प्रतिशत लाभ कमाने की उम्मीद थी. इसमें प्रतिष्ठान को 190 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ. एंटी करप्शन टीम का आरोप है कि प्रतिष्ठान की ओर से भुजबल परिवार को 13 करोड़ 50 लाख रुपये दिए गए.


टेंडर प्रक्रिया के बारे में
वर्ष 2005 में यह आरोप लगा कि बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के डेवलपर की नियुक्ति कर दी गयी. इसके बाद ईडी ने भी इस मामले में पीएमएलए के तहत कार्रवाई की. एसीबी ने बॉम्बे सेशन कोर्ट में आईपीसी की धारा 409 (लोक सेवक होने के बावजूद सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना) और धारा 471 (ए) (फर्जी दस्तावेजों का उत्पादन) के तहत आरोप दायर किया. 


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