Maharashtra News: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बड़ा बदलाव किया है. भारतीय संविधान लागू होने के 75वें साल में न्याय की प्रतीक देवी की आंखों पर बंधी पट्टी हट गई है. हाथ में तलवार की जगह भी अब संविधान ने ले ली है. हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय के इस कदम पर अब राजनीति तेज हो गई है. शिवसेना-उद्धव गुट के नेता और सांसद संजय राउत ने कोर्ट के इस फैसले की आलोचना की है और बीजेपी-संघ पर निशाना साधा है. 


उन्होंने कहा, "न्याय की देवी के हाथ से तलवार निकाल दिया और संविधान दे दिया उससे क्या करने वाले हो आप? संविधान को तो आप खत्म कर रहे हो, अब आंख से काली पट्टी खोल दी. इसका क्या मतलब है कि अब आप खुलेआम भ्रष्टाचार और संविधान की हत्या होते देखते रहो. इसका अनुभव हमने किया है, हमारी पार्टी ने किया है, शरद पवार ने किया है कि किस तरह संविधान को दरकिनार कर फैसले लिए गए."


संजय राउत ने क्या कहा?
संजय राउत ने कहा, "संविधान के खिलाफ बनी हुई सरकार ने महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट के आंख पर पट्टी बांधकर सरकार चलाई. दो साल तक तारीख पर तारीख दिया, लेकिन फैसला नहीं दिया गया. ऐसे बहुत से फैसले हैं जो संविधान के हिसाब से होने चाहिए थे, लेकिन नहीं हुए. संविधान की हत्या तो इस देश में हर दिन होती है. अब न्याय की देवी के हाथ में आप संविधान की किताब देकर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का प्रोपेगेंडा अभियान चलाया जा रहा है."


उन्होंने कहा, "न्यायमूर्ति के हाथ में एक तराजू होता है और आंखों पर पट्टी रहती है. इसका मतलब सबको बराबर न्याय मिलेगा, न्याय का तराजू बराबर होगा. मैं यह नहीं देखूंगी कि कौन बड़ा है, कौन छोटा है. लेकिन 10 साल से हम उसके सबसे बड़े विक्टिम हैं. मैं आदरणीय न्यायाधीश से यह पूछूंगा कि महाराष्ट्र की विधानसभा खत्म हो गई."


ऐसे में 40 जो ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने 10th शेड्यूल को भंग किया आप उसपर फैसला क्यों नहीं ले सके? यह कौन सा संविधान है. ऐसे में आप लाइब्रेरी में संविधान वाली मूर्ति रखेंगे, तो उससे क्या होगा? देश की जनता ने सब देख लिया है." वहीं हरियाणा चुनाव पर उन्होंने कहा, "लोकसभा में भी आंकड़े सामने आए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट  ने क्या किया? इस देश की जनता चाहती है कि ईवीएम से वोट न हो, लेकिन हमारे सुप्रीम कोर्ट ने इनको क्लीन चिट दी है, यह संविधान के खिलाफ है. हरियाणा में बहुत बड़ी गड़बड़ हुई है."


सुप्रीम कोर्ट ने किए ये बदलाव 
जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बदलाव में खास भूमिका है. उनके निर्देश पर देवी की प्रतिमा बदली गई है. सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की लाइब्रेरी में नई प्रतिमा लगाई गई है. पहले देवी की आंखों पर पट्टी होती थी. एक हाथ में तराजू, दूसरे में सजा की प्रतीक तलवार थी.


जस्टिस चंद्रचूड़ का मानना है कि भारत को अंग्रेजी विरासत से आगे निकलने की जरूरत है. कानून कभी अंधा नहीं होता, वह सभी को एकसमान रूप से देखता है. इसलिए न्याय की देवी का स्वरूप भी बदला जाना चाहिए. हाथ में संविधान संदेश देता है कि न्याय संविधान के अनुसार किया जाता है. दूसरे हाथ में तराजू, प्रतीक है कि कानून की नजर में सभी समान हैं.



Exclusive: चर्चित IRS अधिकारी समीर वानखेड़े की पॉलिटिक्स में एंट्री, इस पार्टी से लड़ेंगे चुनाव