Maharashtra: गुलाब और चॉकलेट देकर स्कूलों में पहले दिन बच्चों का स्वागत, टीचरों ने बनाई रंगोली
Schools Open In Maharashtra: गर्मी की छुट्टियों के बाद महाराष्ट्र में स्कूल चुके हैं. बच्चों का टीचरों ने स्कूलों में गुलाब व चॉकलेट देकर स्वागत किया. वहीं इस दौरान कई तरह के गेम्स भी आयोजित हुए.
Schools Reopen In Maharashtra: महाराष्ट्र (Maharashtra) भर में स्कूल वार्षिक गर्मी की छुट्टी के बाद बुधवार को फिर से खुल गए. राज्य के शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने पहले ट्विटर पर स्कूलों को फिर से खोलने और राज्य सरकार द्वारा स्कूल अधिकारियों को छात्रों के स्वागत के लिए कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश देने की घोषणा की थी. बुधवार तड़के, पुणे नगर निगम (पीएमसी) द्वारा संचालित स्कूलों के शिक्षकों को परिसर को गुब्बारों से सजाते और जीवंत रंगों में रंगोली बनाते देखा जा सकता था. वापस अपने स्कूलों में पहुंचे बच्चों को गुलाब और चॉकलेट देकर स्वागत किया गया और उनके लिए इंटरेक्टिव गेम्स की भी व्यवस्था की गई.
ऑनलाइन क्लासेज में होती थी ये परेशानी
एक बच्चे की मां ने कहा कि मेरा बेटा ऑनलाइन क्लासेज के दौरान अच्छे से ध्यान नहीं दे पाता था, और जब क्लासेज चल रही थीं, तब वह अक्सर गेम खेलता रहता था. लेकिन गर्मी की छुट्टी से दो महीने पहले स्कूल जाने के बाद मैंने उसमें काफी सुधार देखा. यहां, शिक्षक उसकी अच्छी देखभाल करते हैं. पहले दिन किंडरगार्टन और कक्षा 1 के बच्चों और उनके माता-पिता के लिए 'प्रवेशोत्सव' नाम से एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया था. एक स्कूल के प्रिंसिपल उद्धव गायकवाड़ ने कहा कि महामारी के कारण, 4-6 वर्ष की आयु के बच्चे प्री-प्राइमरी स्कूल में नहीं जा सके, जिससे उनके पढ़ने और लिखने की क्षमता पर असल पड़ा.
कोरोना लक्षणों वाले बच्चों को न भेजें स्कूल
इस साल स्कूल को फिर से खोलना दो वर्षों में पहली बार स्कूलों का फिर से सामान्य रूप से खुलना है, क्योंकि पिछले दो शैक्षणिक वर्षों की शुरुआत के दौरान पूरे महाराष्ट्र में स्कूल बंद रहे थे. बकौल इंडियन एक्सप्रेस, गायकवाड़ ने बताया कि स्कूल खुलने से पहले क्लास टीचरों द्वारा अभिभावकों को व्हाट्सएप पर संदेश भेजे जाते थे. उन्होंने कहा कि हमने माता-पिता से आग्रह किया कि वे सामान्य लक्षणों पर ध्यान दें जो कोविड-19 से मेल खाते हैं जैसे कि बुखार और सर्दी और अपने बच्चों को स्कूल भेजने से बचना चाहिए जब तक कि वे लक्षण कम न हो जाएं. संक्रमण फैलने के जोखिम को कम करने के लिए, हमने उनसे यह भी आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को न भेजें, यदि उनमें स्वयं ऐसे लक्षण हैं.