Maharashtra Politics News: शिवसेना (Shiv Sena) के नियंत्रण के लिए टीम ठाकरे और टीम शिंदे के बीच कानूनी लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फिलहाल के लिए सुनने से इनकार कर दिया. अदालत ने विपक्षी गुटों द्वारा विपरीत खेमे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता नोटिस पर तत्काल सुनवाई करने से मना कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को सूचित किया जाना चाहिए कि उन्हें अयोग्यता नोटिस पर तब तक फैसला नहीं करना चाहिए जब तक कि अदालत उन पर फैसला न दे.
इस बीच उद्धव ठाकरे ने आज एक कैविएट के साथ चुनाव आयोग का रुख किया, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि अगर शिंदे शिवसेना के चुनाव चिन्ह के लिए दावा करते हैं तो कोई आदेश पारित न करें. ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट ने शिंदे खेमे के भरत गोगावाले को विधानसभा में शिवसेना के नए मुख्य सचेतक के रूप में मान्यता देने के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के फैसले का विरोध किया है.
सुप्रीम कोर्ट इसलिए याचिकाओं को सुनने से किया इनकार
वहीं सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि इस मामले में, जिसमें कई याचिकाएं शामिल हैं, एक पीठ के गठन की आवश्यकता होगी और सूचीबद्ध होने में कुछ समय लगेगा. यह उन याचिकाओं के बाद आया है, जिन पर पहले आज अदालत में सुनवाई होनी थी, अपडेटेड लिस्ट में उनका उल्लेख नहीं किया गया था. इसके बाद ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे ने तत्काल सुनवाई की मांग की. शीर्ष अदालत में उद्धव ठाकरे खेमे का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि चार न्यायिक आदेशों के बावजूद, मामले को सूचीबद्ध नहीं किया गया था.
शिंदे खेमे ने किया ये दावा
अपने विधायकों के खिलाफ अयोग्यता नोटिस को चुनौती देते हुए शिंदे खेमे ने दावा किया है कि यह "असली" शिवसेना है क्योंकि विधानसभा में पार्टी के दो-तिहाई विधायक हैं. टीम ठाकरे ने तर्क दिया है कि इन विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों के अनुसार अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने भाजपा में विलय नहीं किया है, बल्कि उनके साथ एक चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश रची है.