Shiv Sena MLAs Disqualification: शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है, "अयोग्यता प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष अदालत की अवमानना कर रहे हैं. अदालत ने उन्हें केवल अयोग्यता (याचिकाओं) पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है. ट्रिब्यूनल के माध्यम से बयान लेना चीजों को विलंबित करने की एक रणनीति है. मैं इसका स्वागत करती हूं. महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहे हैं.'' इससे पहले आज, सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर फैसला करने में देरी के लिए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि स्पीकर शीर्ष अदालत के "आदेशों को विफल नहीं कर सकते.".


क्या बोले पृथ्वीराज चव्हाण?
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर नार्वेकर के खिलाफ एक और सख्त आदेश पारित किया है, जो स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि वह जानबूझकर शिवसेना विभाजन पर निर्णय में देरी कर रहे हैं. यह दूसरी बार है जब शीर्ष अदालत ने स्पीकर को संविधान का उल्लंघन करने पर चेतावनी दी है. दुर्भाग्य से, उच्चतम न्यायालय कुछ नहीं कर सकता है.'' चव्हाण ने कहा, दल-बदल विरोधी कानून स्पीकर को निर्णय लेने की शक्तियां देता है, जिसे एक राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त किया जाता है और वह उस पार्टी का सदस्य रहता है और वह उस राजनीतिक दल के हितों से बंधा होता है, जिससे वह संबंधित है.


इसलिए, 10वीं अनुसूची 2003 में संशोधित दल-बदल विरोधी कानून शुरू से ही त्रुटिपूर्ण है और इसे पूरी तरह खत्म करने की जरूरत है. सीजेआई के पास स्पीकर के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने का अधिकार है. उन्होंने कहा, ''मुझे नहीं पता कि सुप्रीम कोर्ट संविधान और कानून के शासन की रक्षा के लिए अपनी अंतर्निहित शक्ति का उपयोग करेगा या नहीं. 18 सितंबर को, शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता के फैसले के लिए समयसीमा बताने का निर्देश दिया था. नार्वेकर ने पिछले महीने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी शिवसेना गुटों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए प्रक्रिया शुरू की थी.


शिंदे और 15 अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं की पहली वास्तविक सुनवाई गुरुवार को विधान भवन में हुई. अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में ठाकरे गुट के सुनील प्रभु ने शिंदे और 15 अन्य के खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं दायर की थीं.


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