Solapur News: गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकालकर 50 से अधिक युवा पहुंचे कलेक्टर ऑफिस, तख्तियों पर लिखा 'एक पत्नी चाहिए'
देश में लड़कियों की संख्या लगातार घट रही है. जिसके चलते लड़कों की शादी में परेशानी आना शुरू हो गई है. मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में एक हजार लड़कों पर 920 लड़कियां हैं.
Maharashtra News: महाराष्ट्र के सोलापुर में युवा-से-मध्यम आयु वर्ग के करीब 50 लोग ने जुलूस निकाला. इस जुलूस में गांजे-बाजे के साथ शानदार शादी की पोशाक में घोड़ों पर सवार होकर युवक कलेक्टर के पास पहुंचे. कलेक्टर के पास पहुंचकर उन्होने मांग की कि उनको दुल्हन दी जाय. एनजीओ ज्योति क्रांति परिषद (JKP) की ओर से आयोजित मार्च ने सोलापुर और अन्य जिलों के ग्रामीण इलाकों में एक बड़ी समस्या को उजागर किया, जहां शादी के लिए लड़कियों की भारी कमी है.
सभी दूल्हों ने शेरवानी या फिर कुर्ता-पायजामा पहन रखे थे और अपने गले में तख्तियां लिए हुए थे. एक किमी लंबे जुलूस में उनकी एकमात्र इच्छा थी सरकार का ध्यान इस ओर खींचना. तख्तियों पर लिखा था, "एक पत्नी चाहिए, एक पत्नी! मुझसे शादी करने के लिए कोई भी एक लड़की दे सकता है!", "सरकार, होश में आओ और हमसे बात करो, तुम्हें हमारी दुर्दशा पर ध्यान देना होगा!" 12 साल के बच्चे विक्की सैडिगल ने अपनी तख्ती पर लिखा था, "मेरी शादी होगी या नहीं?"
क्या कहा जेकेपी के अध्यक्ष रमेश बारस्कर ने?
जेकेपी के अध्यक्ष रमेश बारस्कर ने कहा कि बुधवार के जुलूस में सभी हताश कुंवारे लोग 25-40 के बीच की उम्र के थे, ज्यादातर पढ़े-लिखे और सम्मानित मध्यवर्गीय परिवारों से थे, जिनमें कुछ किसान, कुछ निजी कंपनियों में काम करने वाले भी थे. बारस्कर ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, स्त्री-पुरूष अनुपात बिगड़ने के कारण, इन स्वस्थ, कमाऊ और सक्षम पुरुषों को वर्षों तक विवाह के लिए लड़कियां नहीं मिलती. स्थिति इतनी खराब है कि वे किसी भी लड़की से शादी के लिए तैयार हैं, जाति, धर्म, विधवा, अनाथ, कुछ मायने नहीं रखता.
कलेक्टर से जताई पीड़ा
यह जुलूस कलेक्ट्रेट पर समाप्त हुआ. जहां 'दूल्हों' ने बैठकर अपनी हृदय विदारक पीड़ा बताई, और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को संबोधित करते हुए एक ज्ञापन सोलापुर के कलेक्टर मिलिंद शंभरकर को सौंपा. जनवरी 2022 में 'बेटी बचाओ' (बेटी बचाओ) आंदोलन शुरू करने वाले पुणे के डॉ. गणेश राख ने कहा कि भारत में आधिकारिक रूप से एक हजार लड़कों पर 940 लड़कियां हैं, लेकिन महाराष्ट्र में एक हजार लड़कों पर 920 लड़कियां हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केरल में एक हजार लड़कों पर 1050 लड़कियां हैं, हालांकि देश के बाकी हिस्सों के आंकड़े भ्रामक हैं. ग्रामीण क्षेत्रों या मध्यम और निम्न-मध्यम वर्ग के लड़कों में बड़ी समस्याएं हैं, जिन्हें लड़कियां नहीं मिलती है. अगर तत्काल उपाय नहीं किया गया तो स्थिति और खराब हो जाएगी.
क्या कहा एनसीपी नेता ने?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और मोहोल शहर के पूर्व परिषद प्रमुख बारस्कर ने कहा कि जेकेपी के अध्ययन से पता चलता है कि शादी के लिए लड़कियां सरकारी नौकरी, आर्मी या फिर विदेशों में काम करने वाले लोग चुनना चाहती हैं, या फिर मुंबई और पुणे जैसे बड़े शहरों में काम करने वाले लोग. बारस्कर ने इस सामाजिक मुद्दे के बारे में बताया, "जो लोग पहले से ही शहरों में रह रहे हैं, वे अलग-अलग कारणों से गांव में आना नहीं चाहते, यद्यपि वे बहुत अमीर परिवारों से नहीं हैं. इसका परिणाम अविवाहित पुरुषों के लिए विनाशकारी है, जो बुराईयों की ओर मुड़ जाते हैं, या शराब पीने लगते हैं. उनके माता-पिता अपने अविवाहित बेटों की चिंता से बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.