Hijab Row: कर्नाटक से शुरू हुए हिजाब विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  में भी फैसला नहीं हो पाया है. 10 दिनों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में फैसले का दिन आया, लेकिन दो जजों की बेंच की राय बंटी हुई थी. एक जज ने हिजाब के खिलाफ फैसला दिया तो दूसरे ने इसके पक्ष में अपनी बात रखी. इसके बाद सीजेआई को इसे बड़ी बेंच को भेजने की सिफारिश की गई है. इस मामले पर अब दोनों तरफ से रिएक्शन आने शुरू हो चुके हैं.


हिजाब धर्म का हिस्सा है- अबू आजमी
ऐसे में अब सपा नेता अबू आजमी का कहना है, "इस देश का जो संविधान है वो हर धर्म के लोगों को अपने धर्म पर चलने की पूरी छूट देता है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक जजमेंट में लिखा है कि हिजाब धर्म का हिस्सा नहीं है, मैं कह सकता हूं कि ये बिल्कुल गलl है. कुरान शरीफ में दो जगहों पर साफ-साफ लिखा है कि मर्द जब घर से बाहर निकले तो अपनी नजर नीचे रखें और महिलाओं के लिए लिखा गया है कि घर से बाहर निकले तो सर पर चादर डाल कर यानी पर्दा करके निकलें."


अबू आजमी ने आगे कहा, "इस मुल्क में आजादी इतनी ज्यादा दी गई है कि शादी से पहले लड़की किसी मर्द के साथ लिवइन रिलेशन में रह सकती हैं. वहीं अगर शिक्षण संस्थानों में मुसलमान बच्चियां हिजाब पहन के जाती हैं और उन्हें रोक दिया जाएगा तो ये मुसलमानों के साथ बहुत बड़ी ज्यादती होगी. मैं समझता हूं कि सुप्रीम कोर्ट को इस पर फैसला देना चाहिए ताकि ये पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण बन सके."






दोनों वकीलों ने क्या कहा?
याचिकाकर्ताओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील एजाज मकबूल ने कहा कि, फिलहाल मामले में कोई फैसला नहीं आया है और चीफ जस्टिस के सामने इसे रखा गया है. जिसके बाद इसे संविधान पीठ या किसी और बेंच को सौंपा जाएगा. वहीं हिजाब के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे वकील वरुण सिन्हा ने कहा कि अभी हाई कोर्ट का फैसला लागू रहेगा क्योंकि एक जज ने याचिका को खारिज किया है और दूसरे ने उसे खारिज नहीं किया है. अब हाई कोर्ट का फैसला तब तक जारी रहेगा जब तक किसी बड़े बेंच का फैसला नहीं आ जाता है. 


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