Anil Parab Claim: शिवसेना-यूबीटी नेता अनिल परब ने मंगलवार को कहा कि मूल और अविभाजित शिवसेना के अध्यक्ष के रूप में उद्धव ठाकरे का चुनाव मानदंडों के अनुसार हुआ था और चुनाव आयोग को इसकी पूरी जानकारी थी. यहां एक विशाल टाउन हॉल शैली की बैठक को संबोधित करते हुए परब ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले दो गुटों के विधायकों की अयोग्यता पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के 10 जनवरी के फैसले की आलोचना की.
उद्धव गुट का बड़ा दावा
उन्होंने (अविभाजित) शिवसेना में हुए 2013 और 2018 के चुनावों के वीडियो चलाए, जिसमें दोनों बार सर्वसम्मति से पूरी शक्तियों के साथ उद्धव ठाकरे को अध्यक्ष चुना गया था. परब ने कहा, “सभी निर्णय मानदंडों और नियमों के अनुसार लिए गए थे और पार्टी के अन्य निर्वाचित नेताओं, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और अन्य पदाधिकारियों की सूची के साथ सभी प्रासंगिक कागजात आयोग को सौंपे गए थे. हमारे पास ईसीआई की तारीख-मुहर की प्रतियां हैं, इसके प्राप्तकर्ता अधिकारी के हस्ताक्षर और सब कुछ सार्वजनिक डोमेन में था.” परब ने आरोप लगाया कि वही दस्तावेज स्पीकर को भी सौंपे गए थे, लेकिन इन सबके बावजूद उन्होंने कानूनों के अनुसार किए गए हर काम को नजरअंदाज किया.
क्या बोले उद्धव गुट के नेता?
परब ने कहा, “स्पीकर ने अपने फैसले में हर तथ्य को दरकिनार किया और इसके बारे में झूठ बोला है… स्पीकर को यह दावा करने का कोई अधिकार नहीं है कि ये सभी दस्तावेज ईसीआई को या पार्टी अध्यक्ष के रूप में उद्धव ठाकरे के चुने जाने पर पेश नहीं किए गए थे.” उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष के रूप में उद्धव ठाकरे का नाम 21 मार्च, 2013 से अन्य सभी अपेक्षित विवरणों और आवश्यक जानकारी के साथ चुनाव आयोग के साथ पंजीकृत था, फिर भी अध्यक्ष ने 10 जनवरी को अपना फैसला सुनाते समय इस पर विचार नहीं किया, जो लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है. टाउन हॉल बैठक में उद्धव ठाकरे, उनकी पत्नी रश्मि, बेटे आदित्य और तेजस, पार्टी के शीर्ष नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद थे. इस कार्यक्रम को पूरे राज्य में लाइव-स्ट्रीम किया गया.