Maharashtra SRS Report: महाराष्ट्र में सरकारी अस्पतालों में पैदा हुआ 56% बच्चे, प्राइवेट हॉस्पिटल का आंकड़ा कर देगा हैरान!
Maharashtra SRS Report: पिछले सप्ताह जारी एसआरएस 2020 के आंकड़ों के अनुसार लगभग 56 प्रतिशत प्रसव सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में हुए, जबकि 41.4 प्रतिशत निजी अस्पतालों में हुए थे.
Maharashtra SRS Report: सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (Sample Registration Survey) रिपोर्च के मुताबिक महाराष्ट्र (Maharashtra) में साल 2020 में 97 प्रतिशत से अधिक बच्चे एक स्वास्थ्य सुविधाओं में पैदा हुए थे. हालांकि, इनमें 41 प्रतिशत तक प्रसव प्राइवेट अस्पताल में हुए थे. रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक आबादी को राज्य सरकार की ओर से स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में निरंतर अक्षमता को भी रेखांकित किया गया है. पिछले सप्ताह जारी एसआरएस 2020 के आंकड़ों के अनुसार लगभग 56 प्रतिशत प्रसव सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में हुए, जबकि 41.4 प्रतिशत निजी अस्पतालों में हुए थे.
वहीं मातृ और शिशु देखभाल सेवाओं में सुधार के सरकार के दावों के बावजूद यह अनुपात पिछले कई वर्षों से अपरिवर्तित रहा है. यह राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है, जहां 28 प्रतिशत प्रसव निजी केंद्रों में, 55 प्रतिशत सरकारी केंद्रों में और लगभग 12 प्रतिशत बाहरी संस्थानों में होता है, लेकिन योग्य स्वास्थ्य कर्मियों के हाथों होता है. यह संख्या राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की लगातार बढ़ती पैठ को भी बताती है. 2020 में ग्रामीण महाराष्ट्र में लगभग 40.5 प्रतिशत प्रसव एक निजी अस्पताल में हुए थे, वहीं रूरल एरिया में लगभग 42.6 प्रतिशत हुए थे.
ये भी पढ़ें- Mumbai News: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से अकेले में मिले अनंत अंबानी, CM की एक महीने में अंबानी परिवार से दूसरी मुलाकात
अप्रशिक्षित लोगों के हाथों प्रसव का प्रतिशत घटा
2017 में 40.3 प्रतिशत ग्रामीण प्रसव निजी थे, जो 2018 में मामूली बढ़कर 40.4 प्रतिशत और 2019 में 40.5 प्रतिशत हो गए. महाराष्ट्र में सालाना 2 मिलियन से अधिक प्रसव होते हैं, इसलिए एक छोटे से प्रतिशत परिवर्तन का मतलब यह हो सकता है कि हजारों परिवार निजी क्षेत्र की ओर रुख कर रहे हैं. इसे लेकर राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि यह महाराष्ट्र को 100 प्रतिशत संस्थागत जन्म प्राप्त करने की पहुंच के भीतर रखता है. 2011 में संस्थागत प्रसव की हिस्सेदारी 90.7 प्रतिशत थी, इसलिए निश्चित रूप से इसमें सुधार हुआ है. उनका कहना है कि एक और सकारात्मक पहलू है कि महाराष्ट्र में अप्रशिक्षित लोगों के हाथों प्रसव का प्रतिशत घटकर 0.4 प्रतिशत हो गया है, जो एक दशक पहले 5.1 प्रतिशत था.
70-80 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे
जन स्वास्थ्य अभियान के डॉ. अभय शुक्ला ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य की मांग में कमी वंचित वर्गों को पूरा करने में राज्य की विफलता को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि राज्य की लगभग 70-80 प्रतिशत आबादी खाद्य असुरक्षित है, गरीबी रेखा से नीचे आती है, या बस सीमा पर है. उन्होंने कहा, "अक्सर एक बड़ा स्वास्थ्य खर्च उन्हें दरिद्रता की ओर धकेल सकता है." उन्होंने कहा कि कम से कम 20-25 प्रतिशत अधिक आबादी को सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बनानी चाहिए.
ये भी पढ़ें- Mumbai News: मुंबई में 1 अक्टबूर से ऑटो-टैक्सी में सफर करना हो जाएगा महंगा, जानिए- कितना बढ़ाया गया है किराया