Mumbai News: महाराष्ट्र के संस्कृति मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार (Sudhir Mungantiwar) ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए फोन कॉल उठाने के बाद 'वंदे मातरम' (Vande Mataram) कहना अनिवार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि इस दौरान राष्ट्रवाद को प्रदर्शित करने वाला अन्य कोई समानार्थी शब्द इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने वंदे मातरम के निर्देश को लेकर विपक्षी दलों द्वारा की गई आलोचना के बाद यह बात कही.


मंत्री ने दिये थे हैलो के बजाय वंदे मातरम करने के निर्देश
मुनगंटीवार ने रविवार को कहा था कि देश अमृत महोत्सव (स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ) मना रहा है, लिहाजा राज्य सरकार के सभी अधिकारियों को अगले साल 26 जनवरी तक कार्यालयों में फोन कॉल उठाने के बाद हैलो के बजाय ''वंदे मातरम'' कहना होगा. उन्होंने यह भी कहा था कि 18 अगस्त तक इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि साल 1800 में जब टेलीफोन अस्तित्व में आया, तब से हम फोन पर हैलो शब्द से ही बातचीत शुरू करते हैं लेकिन अब महाराष्ट्र में सभी कार्यालयों में सरकारी कर्मचारी वंदे मातरम से बात शुरू करेंगे.


वंदे मातरम कहना अनिवार्य नहीं
हालांकि मंगलवार को मंत्री ने एक टीवी चैनल से कहा, ''वंदे मातरम कहना अनिवार्य नहीं है. फोन कॉल लेते समय वंदे मातरम के समानार्थी किसी भी शब्द का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें राष्ट्रवाद झलकता हो.'' उन्होंने कहा, ''किसी संगठन या व्यक्ति के पास इसका विरोध करने का अधिकार है. वंदे मातरम कहना राज्य के संस्कृति मंत्रालय का एक अभियान है, जो स्वतंत्रता दिवस (15) अगस्त को शुरू हुआ है और 26 जनवरी तक जारी रहेगा.''


विरोध शुरू होने के बाद बदला फैसला
दरअसल उनके इस फैसले पर कई मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई थी. मुंबई की रजा एकेडमी ने इस पर ऐतराज जताते हुए कहा था कि हम सिर्फ अल्लाह की इबादत करते हैं, इसलिए वंदे मातरम की जगह कोई और विकल्प दिया जाए, जिसके बाद उन्होंने कहा कि वंदे मातरम की जगह देशभक्ति को इंगित करता कोई भी शब्द इस्तेमाल किया जा सकता है.


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