BBC Documentary Row: टाटा इंस्टीट्यूट ऑप सोशल साइंसेज (TISS) ने संस्थान के छात्रों को पीएम मोदी पर बनाई गई बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की कॉलेज कैंपस में स्क्रीनिंग न किये जाने को लेकर एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि संस्थान ने ऐसी किसी भी स्क्रीनिंग और सभाओं की अनुमति नहीं दी है जो संस्थान में शैक्षणिक माहौल को बिगाड़े और उसकी शांति और सद्भाव को खतरे में डाले.


'डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की योजना बना रहे हैं कुछ छात्र'


एडवाइजरी में आगे कहा गया है कि  ऐसा संज्ञान में आया है कि छात्रों के कुछ समूह देश के कुछ हिस्सों में अशांति पैदा करने वाली बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री की परिसर में स्क्रीनिंग करने की योजना बना रहे हैं. वहीं कुछ छात्र इस डॉक्यूमेंट्री के विरोध में कुछ विश्वविद्यालयों में सभा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं. इस एडवाइजरी में छात्रों को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से बचने की सलाह दी गई है. इसमें आगे कहा गया है कि यदि कोई भी छात्र इस प्रकार की गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.


छात्र संगठन के अध्यक्ष ने किया स्क्रीनिंग की योजना से इंकार


हालांकि TISS के छात्र संघ के नेता प्रतीक पर्मे ने कहा कि संगठन ने ऐसी किसी भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने की योजना नहीं बनायी है. पर्मे ने कहा कि हमें  रजिस्ट्रार और डायरेक्टर से यह एडवाइजरी मिल गई है लेकिन हम बताना चाहते हैं कि हम ऐसी किसी भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की योजना नहीं बना रहे हैं. पर्मे ने कहा कि हमने सुना है कि एक प्रगतिशील छात्र फोरम (PSF) ने इस स्क्रीनिंग का आयोजन किया है,लेकिन हम इसका हिस्सा नहीं हैं.


डॉक्यूमेंट्री को लेकर क्या है विवाद


बता दें कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' को लेकर छिड़ा विवाद देश की यूनिवर्सिटीज तक पहुंच गया है. जेएनयू, जामिया समेत कई यूनिवर्सिटीज में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर बवाल हो रहा है. ये डॉक्यूमेंट्री साल 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित है जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे. 


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